सागरPublished: Apr 17, 2019 03:36:21 pm
manish Dubesy
इस प्रक्रिया से न कैदी भाग पाएंगे, न पुलिस होगी परेशान
Video conferencing prisoner police security
दूसरे जिलों की जेल और कोर्ट से भी वीसी के जरिए सुनवाई
वीडियो कांफ्रेंसिंग से घटी कोर्ट पेशी की मुश्किल, सेवानिवृत्त डॉक्टर-पुलिसकर्मियों के बयान भी वीसी से दर्ज करा रहे बयान
सागर. वीडियो कांफ्रेंसिंग से हो रही कोर्ट पेशियों ने जेल और पुलिस विभाग की गार्ड तैनाती की उलझन को कम कर दिया है। अब केवल कुछ मामलों में ही बंदियों को दूसरे शहर और कोर्ट तक लाना-ले जाना पड़ता है।
जघन्य अपराधों में तो बंदियों की पेशी सीधे वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कराई जा रही है। इससे बंदियों को सुरक्षित पेशी पर ले जाने और वापस लाने के अलावा रास्ते से उनके भाग निकलने की आशंका से भी पुलिस-जेल गार्ड को निजात मिल गई है। डॉक्टर व पुलिस अधिकारियों की सेवानिवृत्ति या दूसरे शहर में पदस्थापना के चलते अधिकारियों के पेशी पर न आने के कारण प्रकरण की सुनवाई बार-बार अटकी रह जाती है। लेकिन अब वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेशी के चलते वे अपने ही शहर के कोर्ट से पेशी में हाजिर हो रहे हैं।
नियमित सुनवाई से आसान हुई व्यवस्था
केंद्रीय जेल और जिला न्यायालय के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग अब नियमित रूप से शुरू हो चुकी है। पिछले कुछ वर्षों में तकनीकी खामियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग सुचारू नहीं हो पा रही थी लेकिन अब इंटरनेट और आधुनिक उपकरणों ने इसे व्यस्थित कर दिया है। अब बंदी को पेशी पर कोर्ट रूम में हाजिर करने की जरूरत नहीं होती। कोर्ट के आदेश पर वे जेल के वीसी कक्ष से ही पेशी पर हाजिर होकर अपने बयान दर्ज करा रहे हैं।
आशंका और परेशानी से दिलाई निजात
हर दिन कोर्ट पेशी के चलते अकेले केंद्रीय जेल से ही ५० से १०० बंदियों को सागर और दूसरे शहरों के न्यायालयों में लाना-ले जाना होता था। कई बार यह संख्या इससे भी ऊपर चली जाती थी। दूसरे शहरों में पेशी के कारण निर्धारित से कहीं ज्यादा गार्ड की जरूरत होती थी पर बल नहीं मिलने से बंदियों की पेशी पर हाजिरी टल जाती थी। खूंखार अपराधियों को कड़ी सुरक्षा के इंतजाम न होने तक बाहर ले जाने पर उनके भागने या हमले की आशंका होती थी।
परेशानी का निदान कर दिया
&वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था ने कोर्ट पेशी की परेशानी का निदान कर दिया है। बंदियों को जेल से सीधे वीसी के माध्यम से पेशी पर हाजिर किया जा रहा है। दूसरे शहरों में तैनात अधिकारी भी उसी स्थान के कोर्ट से पेशी पर बयान
दर्ज करा सकते हैं।
महेन्द्र पाल सिंह, जज एवं रजिस्ट्रार, जिला न्यायालय सागर