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Kargil Vijay Diwas जवान कालीचरण ने सीने पर झेली 12 गोलियां, हेमंत ने पाक के इरादों को किया नाकाम

locationसागरPublished: Jul 26, 2021 10:49:15 am

Submitted by:

deepak deewan

करगिल योद्धा कालीचरण ने देश की रक्षा करते न्यौछावर कर दिए थे प्राण
 
 

Vijay Diwas 2021 Kargil War Sagar Saheed Kalicharan Saheed Hemant

Vijay Diwas 2021 Kargil War Sagar Saheed Kalicharan Saheed Hemant

सागर. दुश्मन देश की सेना द्वारा किए गए हमले और बरसती गोलियों के बीच राष्ट्ररक्षा के लिए अडिग रहने वाले शहीद कालीचरण तिवारी की याद 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस पर फिर ताजा हो गई है। करगिल में अपने प्राणों को न्यौछावर कर कालीचरण हमेशा के लिए अमर हो गए। इस योद्धा के शौर्य की चर्चा न केवल करगिल विजय दिवस बल्कि आम दिनों में भी लोगों की जुबान पर रहती है। हर राष्ट्रीय पर्व और करगिल विजय दिवस पर अमर शहीद कालीचरण को याद कर लोग उनके सिविल लाइन पर कालीचरण तिराहे पर स्थापित स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचते हैं।
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22 साल में ही देश के लिए शहीद होने वाले जवान कालीचरण तिवारी ने मोर्चे पर डटे रहकर 12 गोलियां सीने पर झेली थीं। जम्मू के 12 आरआर में तैनाती के दौरान कालीचरण पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ का मुकाबला कर रहे थे। 28 सितम्बर 1976 को जन्म कालीचरण ने जब शहादत प्राप्त की उनकी उम्र केवल 22 साल ही थी, लेकिन दिलो-दिमाग में मातृभूमि के लिए न्यौछावर होने का जज्बा भरा हुआ था। भाई दुर्गाचरण ने बताया कि कालीचरण बचपन से ही फौजी बनने का सपना देखते थे। परिवार में 5 भाई और 2 बहन हैं। अब तक वे बड़े भाई के गुजर जाने के बाद सदमे से उबर नहीं पाए हैं। उन्होंने भाई की शहादत को केवल करगिल विजय दिवस पर याद करने और साल भर भूल जाने पर दु:ख जताया। उनका कहना है प्रशासन भी कोई पहल नहीं करता है।
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शहर ने करगिल युद्ध में देश की रक्षा के लिए कालीचरण तिवारी के अलावा एक और भी सपूत दिया था। सदर के हेमंत कटारिया ने भी करगिल की चोटियों पर ऑपरेशन रक्षक के तहत 21 जुलाई 2000 को अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। उनकी याद में सदर क्षेत्र में प्रतिमा भी लगाई गई है और इस वीर को लोग अब भी अपने दिलों में जिंदा रखे हैं। 15वीं पुण्यतिथि पर सदर में लोग हेमंत कटारिया की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने पहुंचें। शहीद हेमंत कटारिया ने 21 जुलाई 2000 को ऑपरेशन रक्षक के दौरान आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान वीरता से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
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