सागरPublished: Jun 27, 2019 09:21:46 pm
sachendra tiwari
कहीं अधूरे पड़े शेड तो कहीं काम नहीं हुआ शुरू
villagers Are not troubled due to absence of cremation grounds
बीना. क्षेत्र की कई पंचायतें ऐसी हैं जिनके अंतर्गत आने वाले गांवों में श्मशानघाट न होने के कारण बारिश में अंतिम संस्कार करने में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके बाद भी जनप्रतिनिधि और अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस बारिश में भी कई गांवों के लोग परेशान होंगे।
ग्राम हिरनछिपा, धई, खजुरिया सहित ऐसे दर्जनों गांव हैं जहां श्मशानघाट नहीं हैं और बारिश में यहां अस्थाई शेड बनाकर लोगों को अंतिम संस्कार करना पड़ता है। पिछले वर्षों में भी इन ग्रामों में ग्रामीण परेशान हुए थे। गांव में किसी के निधन हो जाने के बाद कई घंटों तक बारिश खुलने का इंतजार करना पड़ता है या फिर अस्थाई शेड तैयार कर अंतिम संस्कार किया जाता है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत श्मशानघाट तैयार किए जाने थे जो कहीं अधूरे हैं तो कहीं उनका काम ही शुरू नहीं हो पाया है।
अतिक्रमण की चपेट में जगह
श्मशानघाट की जमीन पर लोगों ने कब्जा भी कर लिया है, जिससे बहुत कम जगह बची है और वहां श्मशानघाट न होने के कारण जो जगह बची है वह भी कुछ दिन बाद अतिक्रमण की चपेट में आ जाएगी। अतिक्रमण हटाने के लिए कई बार ज्ञापन भी दिए जा चुके हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती है।
पिछले वर्ष पंधव में हुई थी परेशानी
पिछले वर्ष पंधव गांव के लोग श्मशानघाट न होने के कारण गांव के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा था। नदी किनारे अस्थाई शेड लगाकर अंतिम संस्कार किया गया था। इसके बाद भी यहां अधूरा श्मशानघाट ही बनाया है। खजुरिया सरपंच ने बताया कि पंधव में श्मशानघाट में शेड तो बन गया है, लेकिन चबूतरा नहीं बना है। साथ ही खजुरिया में श्मशानघाट नहीं है और पुरा में अधूरा पड़ा है।