सागर.मोबाइल की स्क्रीन पर घंटों व्यस्त रहने की वजह से ग्लूकोमा यानी काला मोतिया के रोग से ग्रस्त हो रहे हैं। ग्लूकोमा की समस्या सामान्य तौर पर 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को होती है, लेकिन अब बच्चे भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। इंद्रा नेत्र चिकित्सालय में हर माह 300 मरीज आंखों का इलाज कराने पहुंच रहे हैं। इनमें से 60 से अधिक संख्या में बच्चे हैं। जिनकी इस उम्र में ही आंखों की रोशनी कम हो गई है। और इन बच्चों को चश्में का नंबर दिया जा रहा है।
इंद्रा नेत्र चिकित्सालय में नेत्र चिकि त्सक सहायक एके अहिरवार ने बताया कि हर माह 300 मरीज ऐसे आ रहे हैं, जिन्हें कम दिखाई देने लगा है। इनमें ६० से अधिक बच्चे शामिल हैं, जिनकी आंखों की रोशनी कम हो गई है। पहले 40 से अधिक उम्र के लोग ही ज्यादातर अस्पताल आते थे। अप्रैल से अगस्त तक अस्पताल में 98 मरीजों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ है।
इसलिए हो रही रोशनी कम
बच्चे जितना समय मोबाइल, टैब या लैपटॉप आदि पर बिताते हैं, उसमें से 30 से 40 प्रतिशत समय नजदीक की चीजें देखने में लगा रहे हैं। इससे उनकी दूर की नजर धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है। दरअसल, हमारी आंखें दूर को चीजें देखने में भी सक्षम होती हैं, लेकिन लगातार नजदीक का देखने से बच्चों की आंखें नजदीक की चीजें देखने की आदी हो रही हैं, जिससे बच्चों की दूर की नजर कमजोर हो रही है।
बढ़ता है चश्में का नंबर
बचपन से ही दूर की नजर कमजोर होने या चश्मा लगने का हानिकारक प्रभाव यह है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे चश्मे का नंबर बढ़ता है। उम्र बढऩे के साथ-साथ आंख का पर्दा पतला होता जाता है। इसकेअलावा पर्दे के क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है। रात के अंधेरे में मोबाइल चलाने से आंखों पर तीव्र दबाव पड़ता है और आंखों के पूर्णतया क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है।
जागरूकता के लिए मनाया जाता है दिवस
विश्व दृष्टि दिवस अक्टूबर महीने के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है। यह दिवस धुंधली दृष्टि (खराब दृष्टि), अंधापन के साथ-साथ दृष्टि संबंधित समस्याओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है।