सागर

mp election 2018 जिले के वोटर्स ने आजादी से आज तक निर्दलीय प्रत्याशी पर नहीं किया भरोसा

सबसे ज्यादा टीकमगढ़ जिले के मतदाताओं ने पांच बार दिया समर्थन, दमोह में ४, छतरपुर में ३ तो पन्ना जिले में एक बार दिया मौका

सागरNov 14, 2018 / 02:05 pm

manish Dubesy

Voters sagar district not trusted on Independent candidateVoters sagar district not trusted on Independent candidate

अभिलाष तिवारी. सागर. बुंदेलखंड की २६ सीटों में सागर जिले की आठ विधानसभा सीटें एेसी हैं, जहां आजादी से आज तक किसी भी निर्दलीय प्रत्याशी पर विधानसभा चुनाव में वोटर ने भरोसा नहीं जताया है। जिले की किसी भी सीट से किसी भी निर्दलीय को जीत हासिल नहीं हुई। इससे उलट टीकमगढ़ जिले के मतदाताओं ने १९५१ से २०१३ तक सबसे ज्यादा निर्दलीय को अपना विधायक चुना है। इस जिले की अलग-अलग विधानसभाओं से कुल पांच बार निर्दलीय प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई है। दमोह में चार, छतरपुर में तीन और पन्ना जिले के मतदाताओं ने एक बार निर्दलीय को प्रतिनिधि चुना।
१९६२ में जीते थे ६ निर्दलीय प्रत्याशी
बुंदेलखंड के पांच जिलों में १९५१ से २०१३ तक १३ बार निर्दलीय प्रत्याशियों को मतदाताओं ने विधायक चुना। इन १३ में से ६ प्रत्याशियों ने १९६२ के चुनाव में जीत हासिल की थी। इनमें दमोह से आनंद श्रीवास्तव, पथरिया से रामेश्वर, हटा से जुगल किशोर बजाज, टीकमगढ़ से ज्ञानेंद्र सिंह देव, जतारा से नरेंद्र सिंह देव और बिजावर से गोविंद सिंह जू देव के नाम शामिल हैं।

सागर जिला- सागर, रहली, खुरई, देवरी, बंडा, सुरखी, बीना और नरयावली में १९५१ से २०१३ तक कभी भी कोई निर्दलीय प्रत्याशी नहीं जीता।
पन्ना जिला- पन्ना विधानसभा से १९५७ में देवेंद्र विजय सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीते थे।
छतरपुर जिला- बिजावर, मलहरा और महाराजपुर के मतदाताओं ने तीन बार निर्दलीय पर भरोसा जताया। गोविंद सिंह जू देव को १९६२ में बिजावर से तो १९६७ में मलहरा के मतदाताओं ने चुना। वर्ष २००० के बाद निर्दलीय के रूप में जीतने वाले इकलौते प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह हैं। उन्होंने २००८ में महाराजपुर से विजयश्री पाई थी।
दमोह जिला- दमोह विधानसभा से दो बार एक ही निर्दलीय प्रत्याशी पर मतदाताओं ने भरोसा जताया। आनंद श्रीवास्तव को १९६२ और १९७२ में जनता ने विधायक चुना। बुंदेलखंड में आनंद श्रीवास्तव और ब्रजेंद्र सिंह राठौर (टीकमगढ़) ही एेसे दो निर्दलीय प्रत्याशी रहे, जिन्हें एक ही विधानसभा के मतदाताओं ने दो बार स्वीकार किया। पथरिया के पहले विधायक के रूप में १९६२ में रामेश्वर तो इसी वर्ष हटा से जुगल किशोर बजाज को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुना गया।
टीकमगढ़ जिला- ज्ञानेंद्र सिंह देव ने १९६२ में टीकमगढ़ से जीत हासिल की थी। इसी वर्ष जतारा से नरेंद्र सिंह देव ने मतदाताओं का समर्थन हासिल किया। जतारा से ही १९८० में मतदाताओं ने स्वामी प्रसाद पास्टर को विधायक चुना। निवाड़ी से ब्रजेंद्र सिंह राठौर को १९९३ और १९९८ में लगातार निर्दलीय के रूप में चुना गया।
निर्दलीय प्रत्याशी जीते
00 सागर
01 पन्ना
03 छतरपुर
04 दमोह
05 टीकमगढ़
(1951 से 2013 के
विधानसभा चुनाव तक)

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