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समस्या व लापरवाही
सिंचाई- राजघाट भले ही पेयजल परियोजना हो लेकिन बांध के चारों आेर बड़ी मात्रा में पानी का उठाव हो रहा है। दिसंबर के दूसरे सप्ताह से पानी का उठाव और तेज हो जाता है, यही वजह है कि जनवरी के महीने में बांध का जलस्तर सीधे एक मीटर की जगह डेढ़ मीटर तक खिसक जाता है।
लापरवाही- सिंचाई रोकने के लिए पिछले चार सालों में सिर्फ एक बार ही छुटपुट कार्रवाई हुई है।
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लीकेज- शहर समेत मकरोनिया में लीकेज एक बड़ी समस्या है। राजघाट से आने वाली बड़ी लाइन समेत शहर के पेयजल नेटवर्क में दर्जनों जगहों पर लीकेज हैं। मकरोनिया क्षेत्र में शहर से ज्यादा बड़े लीकेज हैं लेकिन इनमें सुधार कार्य की ओर ध्यान नहीं दिया गया है।
लापरवाही- ठंड के मौसम में लोगों को पानी की कम आवश्यकता होती है। इस मौसम में लीकेज सुधार कार्य किया जा सकता है लेकिन निगम में बैठे जिम्मेदारों में दूरदर्शिता की कमी है।
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टोंटी लगाना भूले- निगम ने दो साल पहले नलों में टोंटियां लगाने का अभियान शुरू किया था लेकिन महज कुछ सैकड़ा नलों में ही टोंटियां लगाईं गईं। पेयजल आपूर्ति का समय फिक्स न होने के कारण लोग नलों को खुला छोड़ देते हैं जिसके कारण एक घंटे की जल सप्लाई में आधा घंटा पानी व्यर्थ में बहता है।
लापरवाही- निगम प्रशासन को नलों में टोंटियां लगवाने के साथ जलापूर्ति का समय फिक्स करना था लेकिन आज तक कोई प्रयास नहीं हुए। अभियान दिखावे के लिए सिर्फ गरमी के मौसम में ही चलाया जाता है।
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सेना को देना है पानी- सेना के चितौरा एनीकेट के लिए निगम प्रशासन को राजघाट से दो बार और अभी पानी छोडऩा होगा। दिसंबर व जनवरी में सेना बांध से पानी की डिमांड करती है। एेसे में सिंचाई पर रोक नहीं लगाई तो जनवरी के आखिर तक जलस्तर 511 मीटर की लाइन में पहुंच सकता है।
लापरवाही- सेना को पानी छोडऩे के बाद नदी की मॉनीटरिंग नहीं की जाती जिसके कारण किसान नदी से पानी की चोरी कर लेते हैं और उन्हें मुफ्त में जनवरी के माह में सिंचाई के लिए पानी मिल जाता है।
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दिसंबर से एेसे गिरता है जलस्तर
दिसंबर से जनवरी तक सिंचाई के कारण लगभग पौन मीटर पानी का उठाव हो जाता है।
दिसंबर से जनवरी के बीच सेना को पानी देने में भी जलस्तर झटके से गिरता है।
फरवरी में दूसरे सप्ताह से सिंचाई में थोड़ी गिरावट आती है, लेकिन फिर मार्च में तीसरे फसल का काम शुरू हो जाता है।
मार्च के आखिरी सप्ताह से जून तक वाष्पीकरण के कारण करीब 4 सेंटीमीटर पानी खाली होने लगता है।
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पिछले वर्ष एेसे गिरा था जलस्तर
19 दिसंबर 2016 को राजघाट का जल स्तर 513.76 मीटर पर था।
8 जनवरी 2017 को करीब 20 दिन बाद जलस्तर पर घटकर 512.90 मीटर पर पहुंच गया।
20 जनवरी को जलस्तर 512.40 मीटर पर पहुंच गया।
19 दिसंबर से 20 जनवरी तक राजघाट में 1.34 मीटर पानी कम हुआ।