सागर

जरूरत नहीं फिर भी यहां मरीज को चढ़ा रहे पूरा ब्लड, लायसेंस भी नहीं

उम्मीद थी कि इस यूनिट के लिए जल्द लाइसेंस मिल जाएगा और अस्पताल में ब्लड से कम्पोनेंट्स देने की सुविधा शुरू हो जाएगी।

सागरApr 10, 2018 / 04:26 pm

गुलशन पटेल

Whole blood being donated to the patient without need

सागर. ब्लड सेपरेशन यूनिट छह महीने बाद भी शुरू नहीं हो पाई है। उम्मीद थी कि इस यूनिट के लिए जल्द लाइसेंस मिल जाएगा और अस्पताल में ब्लड से कम्पोनेंट्स देने की सुविधा शुरू हो जाएगी। लेकिन अभी तक न तो निरीक्षण दल की रिपोर्ट का अता-पता है। न ही लाइसेंस मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
गौरतलब है कि अक्टूबर २०१७ में भोपाल और इंदौर से आए एक दल ने जिला अस्पताल के ब्लड बैंक का निरीक्षण किया था। दल ने मौखिक रूप से यूनिट के लाइसेंस को हरी झंडी मिलने की बात कही थी। उधर, यह मामला पिछले दिनों हुई रोगी कल्याण समिति की बैठक में भी उठा था। यहां कलेक्टर आलोक के समक्ष सिविल सर्जन डॉ. अरुण सराफ ने यह बिंदु रखा था। कार्य प्रगति पर होना बताया गया था, लेकिन कलेक्टर ने अभी तक लाइसेंस न मिलने पर हैरानी जताई थी। इस दौरान उन्होंने ब्लड बैंक प्रभारी को बुलाकर बात की। प्रभारी ने बताया कि अभी तक दिल्ली से रिपोर्ट नहीं मिली है। कलेक्टर ने उन्हें तुरंत पत्रचार कर जानकारी लेने के निर्देश दिए हैं।
क्या है कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट
चार कंपोनेंट ब्लड में होते हैं। इनमें रेड ब्लड सेल (आरबीस) प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट शामिल हैं। सेपरेशन यूनिट में ब्लड को घुमाया (मथा) जाता है। इससे ब्लड परत दर परत (लेयर बाय लेयर) हो जाता है और आरबीसी, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स, क्रायोप्रेसीपिटेट अलग-अलग हो जाते हैं। जरूरत के मुताबिक इनको निकाल लिया जाता है। निकले गए रक्त के प्रत्येक तत्व की अलग-अलग जीवन अवधि होती है। एक यूनिट 3 से 4 लोगों की जरूरत पूरी कर सकता है।
चढ़ाया जा रहा पूरा ब्लड
इन दिनों बीएमसी में बर्न केस के मामले सामने आने लगे हैं। एेसे मरीजों को प्लाज्मा की बेहद जरूरत होती है। लेकिन ब्लड सेपरेशन यूनिट न होने के कारण इन्हें पूरा ब्लड चढ़ाना पड़ रहा है। उधर, प्लेटलेट्स की जरूरत वाले मरीजों को भी पूरा ब्लड चढ़ाया जा रहा है।
नए सत्र में आएंगे उपकरण
जिला अस्पताल में जहां ब्लड बैंक के साथ ब्लड सेपरेशन यूनिट शुरू करने की कवायद चल रही है। वहीं, बीएमसी में अब ब्लड बैंक शुरू करने की प्रक्रिया तेज हो चुकी है। यहां नए सत्र में उपकरण खरीदी के लिए बजट की मांग की गई है। बजट मिलने पर करीब दो करोड़ रुपए की मशीनों की खरीदी के लिए टेंडर शुरू कर दिए जाएंगे।

ब्लड सेपरेशन यूनिट के लाइसेंस के लिए रिमाइंडर भेज दिया है। लाइसेंस के लिए दिल्ली से पत्र आएगा। -डॉ. इंद्राज सिंह, सिविल सर्जन

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