सागरPublished: Apr 18, 2019 08:36:22 pm
sachendra tiwari
किसानों को आना पड़ता है बीना
Why is not the launch of lakhs of rupees even after spending
बीना. लाखों रुपए खर्च कर खिमलासा में उप कृषि उपज मंडी बनाई गई है, जहां शेड सहित सभी व्यवस्थाएं हैं, लेकिन यहां किसान अनाज लेकर नहीं जाते हैं, जिससे मंडी सूनी पड़ी रहती है। किसानों की सुविधा के लिए खिमलासा में उपमंडी बनाई गई थी, जिससे किसानों को बीना या खुरई न जाना पड़े, लेकिन न तो यहां व्यापारी पहुंच रहे और न ही किसान और मंडी सूनी पड़ी है। यदि यहां डाक शुरू हो जाए तो यहां किए गए लाखों रुपए के कार्यों का कुछ उपयोग हो पाएगा। कई बार इस मंडी को शुरू करने का प्रयास किया गया, लेकिन यह प्रयास सफल नहीं हो पाए। पिछले सालों में भी यहां डाक के लिए दिन निर्धारित किए गए थे और डाक का शुभारंभ भी हुआ था, लेकिन कुछ दिनों में ही डाक बंद हो गई थी। इस मंडी में जाने के लिए व्यापारियों द्वारा भी रुचि नहीं दिखाई जाती है।
व्यापारियों को अनाज रखने नहीं पर्याप्त गोदाम
उपमंडी में व्यापारियों को अनाज रखने के लिए पर्याप्त गोदामें नहीं बनाई गई हैं, जिससे व्यापारी मंडी में नहीं जाना चाहते हैं। वह जो भी अनाज खरीदते हैं उसका भाड़ा देकर बीना ही लाना पड़ता है, जिससे व्यापारियों को नुकसान होता है या फिर किसान का अनाज कम दामों पर खरीदा जाता है, जिससे किसान बीना, खुरई मंडी आना ही पसंद करते हैं। मंडी में स्टाफ की कमी है।
बीना मंडी का घट जाएगा लोड
यदि खिमलासा उपमंडी शुरू कर दी जाए तो बीना मंडी में सीजन के समय जो लोड रहता है वह घट जाएगा। सीजन के समय बीना मंडी में वाहनों को खड़े करने के लिए भी जगह नहीं मिलती है और किसानों को परेशान होना पड़ता है। उपमंडी चालू होने के बाद खिमलासा सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के किसान वहीं पहुंचने लगेंगे।
बंद मंडी में भी होते रहते काम
बंद मंडी में भी आए दिन कुछ न कुछ काम होते रहते हैं, जिससे अभी भी यहां रुपए बर्बाद किए जा रहे हैं। मंडी का उपयोग सिर्फ समर्थन मूल्य खरीदी केन्द्र खोलने के लिए होता है। बाकी समय यह मंडी खाली पड़ी रहती है, जिससे लोग यहां अपने वाहन खड़े कर देते हैं।