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चूल्हा-चौका में दबी है आधी आबादी की बुलंद आवाज, शीर्ष पर पहुंचने का नहीं मिलता मौका : छात्रसंघ

locationसागरPublished: Jun 23, 2018 06:35:49 pm

कॉलेज में कभी टीचर तो कभी सहपाठियों के बीच हकों की आवाज बुलंद करने वालीं छात्राओं की आवाज शादी के बाद बंद हो जाती है। एेसा हम नहीं, बल्कि रेकार्ड कह रहा है।

women in politics

Women in politics

सागर. कॉलेज में कभी टीचर तो कभी सहपाठियों के बीच हकों की आवाज बुलंद करने वालीं छात्राओं की आवाज शादी के बाद बंद हो जाती है। एेसा हम नहीं, बल्कि रेकार्ड कह रहा है। डॉ. हरिसिंह गौर विवि हो या फिर शहर के अन्य कालेज। यहां पर निर्वाचित हुईं छात्रसंघ की प्रमुख पदाधिकारियों में से कोई भी किसी भी दल की शीर्ष राजनीति की बात छोड़ो जिला अथवा नगर के प्रमुख पदों पर भी नहीं बैठ सकीं। अपने परिवार और गृहस्थी तक सिमटीं अधिकतर पूर्व छात्रनेता या तो जॉब, बिजनेस कर रही हैं या फिर घर-गृहस्थी संभाल रही हैं। छात्रसंघ की गति में इस शून्यता की प्रमुख वजह राजनीतिक दल हैं, जिन्होंने इन्हें शीर्ष पर पहुंचने का मौका ही नहीं दिया।
अच्छा मौका मिले तब करूंगी राजनीति
एक्सीलेंस गल्र्स कॉलेज की छात्रसंघ अध्यक्षा व एबीवीपी अध्यक्ष नेहा जैन की मानें को राजनीति में अच्छा मौका मिले तभी आगे बढ़ेंगे। उन्होंने बताया कि वर्षों बाद चुनाव हुए और आगे राजनीति के क्षेत्र में जाने के लिए नहीं सोचा। फिलहाल उनका उ²ेश्य लड़कियों को न्याय दिलाना है।
अभी नहीं सोचा राजनीति में आने का
एक्सीलेंस कॉलेज की छात्रसंघ सचिव दिव्या गुरु मिश्रा ने अभी राजनीति में आने के लिए नहीं सोचा है। उन्होंने बताया कि अप्रैल में शादी हो गई है और क्लास न रहने की वजह से अभी फिलहाल भोपाल में है। राजनीति में कॅरियर बनाने के बारे में तय नहीं किया। पढ़ाई के बाद इस बार सोचेंगे।
राजनीति में आने की कम इजाजत होती है
नगर निगम पार्षद याकृति जडि़या २००२ में डॉ. हरिसिंह गौर कॉलेज से छात्र संघ का चुनाव जीती थीं और अध्यक्ष रहीं हैं। उन्होंने बताया कि पहले घरों से महिलाओं को राजनीति में आने की कम इजाजत होती है और शादी के बाद गृहस्थी संभालनी होती थी। छात्र संघ में कुछ लड़कियां
ऐसी भी थीं जिन्होंने नौकरी करना पसंद किया। याकृति को छोड़ दिया जाए तो छात्रसंघ में पूर्व में पदाधिकारी रहीं किसी भी एेसी छात्रा का नाम सामने नहीं आ रहा है जो शीर्ष पर राजनीति में काबिज हो। हां, शीर्ष राजनीति में आज जो महिलाएं जिले की हैं भी वह कभी छात्रसंघ की पदाधिकारी नहीं रहीं हैं।
प्रमुख पार्टियों ने नहीं दिया स्थान
प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी छात्रसंघ की इन महिला पदाधिकारियों को अब जिला अथवा शहर की कार्यकारिणी से विलग रखा है। हालांकि इस वक्त कांग्रेस में रेखा चौधरी शहर अध्यक्ष, नगर निगम के 48 वार्डों में से 25 तथा मकरोनिया नगर पालिका के 18 में से 10 वार्डों पर महिलाएं हैं।
सुधा जैन का लंबा रेकार्ड
सुधा जैन के बाद जिलाध्यक्ष के पद पर किसी महिला को मौका नहीं मिल सका। वह २०१० में जिला अध्यक्ष रहीं। १९९४ से २००९ तक वे विधायक रहीं। उन्होंने महिलाओं में सबसे लंबी पारी खेली, उसके बाद यहां मौका नहीं मिला। हालांकि वह भी छात्रसंघ से संबंधित नहीं रहीं।

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