इसलिए मनाते हैं
प्रति वर्ष मई के पहले मंगलवार को पूरे विश्व में अस्थमा दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1998 में की गई थी। इस दिन अस्थमा के रोगियों को अस्थमा नियंत्रित रखने के लिए प्रोत्साहित करने वाली गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
ये है अस्थमा रोग की मुख्य वजह
बीएमसी के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. एसके पिप्पल ने बताया कि हमारे शरीर में सांस नली का व्यास 2 से 3 सेंटीमीटर होता है। यह दो ब्रोंकाई में विभाजित होता है, जो दोनों फेफड़ों में जाकर फिर से विभाजित हो जाता है। इसमें सबसे छोटी नली का व्यास कुछ मिलीमीटर तक ही होता है। इसमें मांसपेशियां होती हैं, जो सिकुड़ती व फैलती रहती हैं। यदि ये मांसपेशियां सिकुड़ जाएं तो मरीज को सांस लेने में अत्यंत परेशानी होती है।
ऐसे बच सकते हैं इस बीमारी से
ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. पिप्पल ने बताया कि अस्थमा का इलाज डॉक्टर से कराएं। इलाज के साथ ही इसके बढऩे के कारणों से बचें, तो ही फायदा हो सकता है। दमे का परीक्षण, फेफड़ों की जांच एवं एलर्जी के कारकों का पता लगाकर किया जाता है। रोगी को एलर्जी से मुक्त करने का उपचार किया जाता है। इससे भी दमा में आराम मिलता है। धूम्रपान न करें, कोई कर रहा हो, तो उससे दूर रहें, ठंड से एवं ठंडे पेय लेने से बचें।
वाहनो से निकलने वाला धुंआ नुकसान दायक होता है। यह सीधे फेफडो में प्रवेश करता है। जिसके कारण ही अस्थमा जैसी बीमारियां फैल रही है। जिले में लगातार अस्थमा के मरीज बढ़ रहे है।
डॉ. मनीष जैन, असिस्टेंट प्रोफेसर, बीएमसी