रक्तदाता: अन्नी सिंह ठाकुर, ब्लड ग्रुप: बी पॉजीटिव
परकोटा पर रहने अन्नी सिंह ठाकुर के पिता पैथालॉजिस्ट हैं। इन्होंने अपने पिता से रक्त दान करना सीखा और पिछले दस साल से ये सिलसिला जारी है। अन्नी बताते हैं कि जब भी किसी को जरूरत होती है तो सभी काम छोड़कर रक्तदान करने पहुंच जाते हैं। वे शहर के सामाजिक और ब्लड डोनेशन कैंप लगाने वाले सामाजिक गु्रपों से जुड़े हैं। जब भी कॉल या मैसेज आता है तो रक्तदान करते हैं।
रक्तदाता: दिव्यांशु जैन, ब्लड ग्रुप : ए पॉजीटिव
वर्णी कॉलोनी निवासी व्यापारी दिव्यांशू जैन चार साल में १७ बार रक्तदान कर चुके हैं। पहली बार जब थैलेसीमिया के मरीज के लिए ब्लड डोनट किया तो उनके मन में थोड़ी घबराहट थी लेकिन उसी से प्रेरणा लेकर बार-बार डोनेशन की इच्छा हुई। दिव्यांशू अब तक २ ब्लड डोनेशन कैंप भी लगा चुके हैं और हाल ही में एक लगाने की तैयारी है। साथ ही रक्तदाताओं की फोन डायरेक्टरी बनाने के काम में भी जुटे हैं।
रक्तदाता: सयंक सराफ, ब्लड ग्रुप: ओ पॉजीटिव
सयंक सराफ ने १६ से २८ साल तक की उम्र में हर साल तीन बार ब्लड डोनेट किया, लेकिन पिछले दिनों डायबीटिज हो जाने से रक्त सेवा का क्रम थम गया है, लेकिन वे अन्य लोगों को प्रेरित करने के लिए अब भी विभिन्न ग्रुप से जुड़े हैं। सयंक ने बताया कि जब भी किसी जरूरतमंद का पता चलता है तो उसे ब्लड के साथ ही आर्थिक मदद का भी भरपूर प्रयास करते हैं।
सिंधी समाज भी आगे
सुभाष नगर स्थित सिंधी समाज पिछले २० सालों से जरूरत मंद लोगों को रक्तदान कर रहा है। समाज के साथ आज २०० से अधिक युवा व रक्तदाता जुड़े हुए हैं। इस ग्रुप ने अभी तक ५०० से अधिक लोगों को रक्तदान किया है। समाज के दीपक हसरेजा व राजू गंगवानी ने बताया कि हमने रक्तदान के लिए एक ग्रुप बनाया है, जिसमें सभी डोनर के नाम, नंबर और ब्लड ग्रुप लिखा हुआ है।
ये संगठन कर रहे काम
रोटरी क्बल सागर फिनिक्स
गिव ब्लड सेव लाइफ
ऑल इंडिया ब्लड हेल्प सेंटर
वीआर ब्लड डोनर
नेगेटिव ब्लड ग्रुप
इसलिए मनाते हैं दिवस
विश्व रक्तदान दिवस हर वर्ष 14 जून को मनाया जाता है। वर्ष 2004 में स्थापित इस कार्यक्रम का उद्देश्य सुरक्षित रक्त, रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। साथ ही और रक्तदाताओं का आभार व्यक्तकरना है।