सोशल मीडिया से पत्रकारिता के साथ बदली शिक्षा
सोशल मीडिया का प्रभाव केवल पत्रकारिता पर नहीं बल्कि शिक्षा पर भी पड़ा हैं। मैं तो कहता हूं इससे धर्म भी अधूता नहीं रहा। इसलिए आज पत्रकारिता के मूल्यों का क्षरण हो रहा है। वह दौर था जब देश की स्वतंत्रता में पत्रकारिता की अहम भूमिका थी और हमारे यहां मास्टर बल्देव प्रसाद, ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी, पं. पद्मनाथ तैलंग, पं. महेश दत्त दुबे, शिवकुमार श्रीवास्तव आदि पत्रकार रहे, जिन्होंने इसमें अहम भूमिका निभाई। लेकिन अब आधुनिक दौर में इसका व्यवसायीकरण हो रहा है। अब लोग दान भी करते हैं तो उसका प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया पर करते हैं, नहीं तो पहले कहा जाता था कि दाएं हाथ से दिया हुआ दान बायं हाथ को पता नहीं चलता था। इससे भाषा का क्षरण हो रहा है।
डॉ. सुरेश आचार्य, वरिष्ठ साहित्यकार
लोकतंत्र के साथ पत्रकारिता पर खतरा
सोशल मीडिया का प्रभाव वर्ष 2010 से बढऩा शुरू हुआ है। सोशल मीडिया पत्रकारिता ही नहीं लोकतंत्र के लिए खतरा है। फेसबुक के आधार पर वर्ष 2016 में अमेरिका की सरकार तय हुई। यहां किसी के विचारों को प्रमोट करने के भी पैसे मिलते हैं। यदि यह जनता की आवाज बना है तो इसके नुकसान भी है। इससे हमारे प्रेस पर संकट है। इससे गंभीर चिंतन नहीं हो रहा है। यहां विचारों की स्वतंत्रता नहीं बल्कि किसी के विचारों को बार-बार दिखाकर मानसिकता को बदला जाता है। अब हर व्यक्ति के जेब में मीडिया है और कभी-कभी इसमें ऐसे वीडियो-खबरें वायरल हो जाते हैं जिस पर विश्ववास करना मुश्किल हैं। फेक न्यूज चलती हैं, जिससे पत्रकारिता पर प्रभाव पड़ता है।
– दीपक तिवारी, कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि, भोपाल
टैलेंट को मंच मिला, लेकिन भाषा में आई गिरावट
आजादी से पहले पत्रकारिता एक मिशन हुआ करती थी। मगर अब काफी बदलाव आ गए हैं। 70 साल पहले काफी मेहनत करने के बाद कम सूचनाएं मिल पाती थीं। मगर आज सोशल मीडिया ने यह बैरियर तोड़ दिया है। सोशल मीडिया से आसानी से सूचनाएं मिल जाती हैं। मगर इसके प्रति पत्रकारों को और संजीदा होने की जरूरत है। 39 साल का पत्रकारिता का दौर अपने आप में चुनौती भरा रहा है। इससे सबसे बड़ा नुकसान है कि सूचना मिलने के बाद भी संवादहीनता बड़ी है। घर में यदि ५ लोग हैं तो वह अपने मोबाइल पर व्यस्त हैं, आपस में कोई संवाद उनके बीच नहीं आता। इससे टैलेंट को मंच मिला है, लेकिन भाषा में गिरावट आई है।
– राकेश शर्मा, पत्रकारिता विभाग, डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि