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World Press Freedom Day : सोशल मीडिया ने तोड़ दिए पत्रकारिता के बैरियर

locationसागरPublished: May 03, 2019 02:12:55 pm

अब लोग दान भी करते हैं तो उसका प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया पर करते हैं

World Press Freedom Day 2019

World Press Freedom Day 2019

सागर. पत्रकार हमेशा समाज को जोडऩे का काम करते हैं। मगर सोशल मीडिया ने जिस तरह से पत्रकारिता के बैरियर तोड़ दिए, उससे अब समाज को आईना दिखाना और मार्गदर्शन कराने के लिए उत्कृष्ट पत्रकारिता की जरूरत है। इसके लिए पत्रकारों को और संजीदा होना पड़ेगा। प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पत्रिका ने शहर के वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकारों से बात की।
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सागर से शुरू हुआ था मप्र का पहला अखबार

11 जून 1923 को सागर में मास्टर बल्देव प्रसाद ने प्रदेश का पहला अखबार “प्रकाश” का प्रकाशन किया था। पं. ज्वालाप्रसाद ज्योतिषी ने 26 जनवरी 1947 को विंध्य केसरी की शुरुआत की। वे 19944 से 1946 तक नागपुर में समाचार पत्रों के संपादक रह चुके थे। विंध्य केसरी में पं पद्मनाथ तैलंग, पं. महेश दत्त दुबे, शिवकुमार श्रीवास्तव भी ज्योतिषी जी के सहयोगी रहे।

सोशल मीडिया से पत्रकारिता के साथ बदली शिक्षा
सोशल मीडिया का प्रभाव केवल पत्रकारिता पर नहीं बल्कि शिक्षा पर भी पड़ा हैं। मैं तो कहता हूं इससे धर्म भी अधूता नहीं रहा। इसलिए आज पत्रकारिता के मूल्यों का क्षरण हो रहा है। वह दौर था जब देश की स्वतंत्रता में पत्रकारिता की अहम भूमिका थी और हमारे यहां मास्टर बल्देव प्रसाद, ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी, पं. पद्मनाथ तैलंग, पं. महेश दत्त दुबे, शिवकुमार श्रीवास्तव आदि पत्रकार रहे, जिन्होंने इसमें अहम भूमिका निभाई। लेकिन अब आधुनिक दौर में इसका व्यवसायीकरण हो रहा है। अब लोग दान भी करते हैं तो उसका प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया पर करते हैं, नहीं तो पहले कहा जाता था कि दाएं हाथ से दिया हुआ दान बायं हाथ को पता नहीं चलता था। इससे भाषा का क्षरण हो रहा है।
डॉ. सुरेश आचार्य, वरिष्ठ साहित्यकार

लोकतंत्र के साथ पत्रकारिता पर खतरा
सोशल मीडिया का प्रभाव वर्ष 2010 से बढऩा शुरू हुआ है। सोशल मीडिया पत्रकारिता ही नहीं लोकतंत्र के लिए खतरा है। फेसबुक के आधार पर वर्ष 2016 में अमेरिका की सरकार तय हुई। यहां किसी के विचारों को प्रमोट करने के भी पैसे मिलते हैं। यदि यह जनता की आवाज बना है तो इसके नुकसान भी है। इससे हमारे प्रेस पर संकट है। इससे गंभीर चिंतन नहीं हो रहा है। यहां विचारों की स्वतंत्रता नहीं बल्कि किसी के विचारों को बार-बार दिखाकर मानसिकता को बदला जाता है। अब हर व्यक्ति के जेब में मीडिया है और कभी-कभी इसमें ऐसे वीडियो-खबरें वायरल हो जाते हैं जिस पर विश्ववास करना मुश्किल हैं। फेक न्यूज चलती हैं, जिससे पत्रकारिता पर प्रभाव पड़ता है।
– दीपक तिवारी, कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि, भोपाल

टैलेंट को मंच मिला, लेकिन भाषा में आई गिरावट
आजादी से पहले पत्रकारिता एक मिशन हुआ करती थी। मगर अब काफी बदलाव आ गए हैं। 70 साल पहले काफी मेहनत करने के बाद कम सूचनाएं मिल पाती थीं। मगर आज सोशल मीडिया ने यह बैरियर तोड़ दिया है। सोशल मीडिया से आसानी से सूचनाएं मिल जाती हैं। मगर इसके प्रति पत्रकारों को और संजीदा होने की जरूरत है। 39 साल का पत्रकारिता का दौर अपने आप में चुनौती भरा रहा है। इससे सबसे बड़ा नुकसान है कि सूचना मिलने के बाद भी संवादहीनता बड़ी है। घर में यदि ५ लोग हैं तो वह अपने मोबाइल पर व्यस्त हैं, आपस में कोई संवाद उनके बीच नहीं आता। इससे टैलेंट को मंच मिला है, लेकिन भाषा में गिरावट आई है।
– राकेश शर्मा, पत्रकारिता विभाग, डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि

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