उन्होंने कहा कि मंत्री जी ने जो बयान दिया है वह शरीयत के खिलाफ है और उसके लिए हम हरगिज तैयार नहीं हैं। इसके लिए हम जगह जगह कैंप लगाएंगे, तकबीर करेंगे और जो उन्होंने कहा कि मंत्री मुख्तार अब्बास ने कहा था कि 40 साल या 35 साल से ऊपर की जो महिला हैं वह अकेले हज कर सकती हैं। जबकि अभी तक ऐसा कभी नहीं हुआ है हम इस फैसले को हरगिज मंजूर नहीं करते जब तक हमारे साथ हमारा बेटा, चाचा, मामू, बाप कोई ना। कोई मेहरम होना जरूरी है। मैं शोहर के साथ हज करके आई हूं, वहां कोई भी औरत बिना मेहरम के नहीं थी। शौहर का होना हज पर जाने के लिए बहुत जरूरी है।
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ऐसा ही बयान मुस्लिम महिला जैनब अरशी ने दिया है उन्होंने भी साफ कहा है कि मुस्लिम महिला बगैर मेहरम के हज नहीं कर सकती हैं। चाहे वह 40 महिलाओं के ग्रुप हो चाहें 100 के ग्रुप में हों। मेहरम का साथ होना जरूरी है। मुख्तार अब्बास नकवी साहब का बयान शरियत के खिलाफ है। शरियत 1400 साल पहले बनी थी। उसके हदीस के अनुसार कोई भी मुस्लिम महिला बिना मेहरम के हज नहीं कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि मुख्तार अब्बास नकवी साहब यह कैसे कह रहे हैं जब हदीस उनके सामने हैं, या तो वह हदीस नहीं पड़े हुए हैं या शरियत को नहीं पढ़ें हुए हैं। जो शरियत 1400 साल से नहीं बदली गई, वह अब कैसे बदली जा सकती है। मैं यही कहना चाहती हूं कि औरत बिना मेहरम के हज नहीं कर सकती।