दरअसल सहारनपुर जिलाधिकारी को यह शिकायत मिली थी कि कांशीराम कॉलोनी में जिन लोगों को मकान दिए गए हैं उनके अपने घर हैं, अपने बंगले हैं। उन्होंने अपने कांशीराम आवास में मिले फ्लैट किराए पर दिए हुए हैं और खुद बंगलों में रह रहे हैं। इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने प्रशासनिक अफसरों और पुलिस की एक टीम गठित की और टीम को मौके पर जांच के लिए भेजा। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यहां बहुत सारे ऐसे फ्लैट मिले जिनमें किराएदार रह रहे थे। पूछताछ में पता चला कि जिन लोगों को यह फ्लैट आवंटित हुए थे उन्होंने फ्लैट किराए पर चढ़ा दिए हैं और खुद अपने घरों में रह रहे हैं। कुछ लोग मौके पर मिले ही नहीं। आसपास पूछने पर पता चला कि जिन लोगों को फ्लैट मिले थे वो इन फ्लैट में कभी नहीं रहते अपने घरों में रहते हैं। ऐसे में साफ हो गया है कि जिन लोगों को यह फ्लैट आवंटित किए गए थे उन्हें फ्लैट की आवश्यकता नहीं थी। कहीं ना कहीं आवंटन प्रक्रिया में गड़बड़झाला रहा है। जो लोग यानी परिवार वाकई पात्र थे और जिन्हें मकान की आवश्यकता थी उन्हें मकान नहीं मिल पाए जबकि ऐसे लोगों को मकान आवंटित कर दिए गए जिन्हें आवश्यकता ही नहीं थी। अब जिलाधिकारी ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी का दोबारा से सत्यापन कराने और ऐसे लोग जिनके पहले से मकान हैं, जिन्हें मकानों की आवश्यकता नहीं है, उनके आवंटन निरस्त करा कर उन लोगों को यह मकान दिलाए जाने के निर्देश दिए हैं जो वाकई इन के हकदार हैं और जिन्हें इनकी आवश्यकता है।