ये बाेले देवबंदी उलेमा
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुफ्ती मेहंदी हसन ऐनी ने कहा है कि जहां तक नाम काे बदलने की बात है ताे यह नाम हटाने का मामला सालों से चल रहा है। बहुत समय से नाम बदलने की काेशिश की जा रही है। इसके पीछे कारण काेई आैर नहीं बल्कि आरएसएस की काेशिश है। उन्हाेंने कहा है कि हिन्दुस्तान की जाे गंगा जमुनी तहजीब व संस्कृति है उसको बदलकर सिर्फ मनुस्मृति वाली, जो तहजीब है उसको लागू करना चाहते हैं और यही खेल अभी तक खेलने की काेशिश की जा रही है।
अब जो यूजीसी ने अपनी रिर्पोट पेश की है और इसने सिफारिश की है कि एएमयू से मुस्लिम का नाम और बीएचयू से हिन्दू का नाम हटा दिया दिया जाये तो इस मसले पर सरकार खुद ही फंस गई है। या तो ये हो सकता है कि सरकार ने एक तरीके से तमाम मुद्दों को दबाने के लिए एक नया मुद्दा खड़ा किया है या फिर यह है कि यूजीसी ने अपने दायरे से अलग हटकर ये सिफारिश पेश की है।
यदि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से एम यानि मुस्लिम शब्द हटाना चाहते हैं ताे हटाइये हमें कोई दिक्कत नहीं है बस आप मुस्लिम का लफ्ज हटाइये। साथ ही उन्होंने कहा कि मुस्लिम शब्द अलीगढ़ युनिवर्सिटी से हटा रहे हैं तो हिन्दू लफ्ज भी बनारस युनिर्वसिटी से हटाइए। हमारा सीधा सा सवाल है कि अगर हिन्दू का लफ्ज हटता है तो मुस्लिम का लफ्ज भी हटना चाहिए। सेकुलिरज्म के नाम पर यदि आपको मुस्लिम के नाम से दिक्कत है तो हिन्दू के नाम से भी दिक्कत होनी चाहिए।