दरअसल इस बार हज कमेटी द्वारा बिना महरम के हज यात्रा पर जाने के 2340 फार्म स्वीकृत किये गये है। उस पर देवबन्दी उलेमा ने कडा ऐतराज जताया है। दारुल उलूम देवबंद ने पहले भी इस पर फतवा जारी किया था, उन्होंने महिलाओं के बिना महरम के हज पर जाने के सम्बन्ध मे तर्क देते हुए कहा कि महिलायें अगर अकेले हज के लिए जाएगी तो वहां का माहौल खराब हो सकता है।
देवबन्दी आलीम मोलाना नजीफ ने कहा की इस्लाम मे पांच अहम इबादते है, उनमें से एक अहम इबादत हज करना भी है। इस्लाम में इसकी बड़ी अहमियत है। इस्लाम के अंदर हज करने के लिए कुछ तरीक़े बताये गये है उसकी कुछ शर्ते भी हैं इसलिए उसके मुताबिक ही हज करने के लिए जाना चाहिए। महिलाओं को हज करने के लिए कुछ शर्ते हैं उनमे से एक शर्त यह भी है की महिला बिना महरम के हज का सफर नहीं कर सकती। उसे ऐसे साथी के साथ सफर करना है जिसके साथ उसका मेहरमी रिश्ता हो। अगर वो शर्त को पूरा नहीं करती हैं तो दारुल उलूम ने इस पर फतवा जारी कर फतवे में कहा था की बिना महरम के हज नहीं हो पाएगा.
इस तरीके के हज करने को कबूल कर लेना उसको मान लेना की हज कर लीया गलत है। हज कमेटी के जरिए जो फार्म महिलाओं ने बिना महरम के हज पर जाने के लिए भरें उसको स्वीकार किया गया है इसकी हम निंदा करते हैं और जो मुस्लिम तंजीमें है उनको इसके खिलाफ बोलना चाहिए और इस बात को वहां तक पहुंचाना चाहिए कि इस तरीके से हज नहीं हो सकता और इस पर रोक लगनी चाहिए इस्लाम में बिना महरम के इसकी कोई इजाजत नहीं है.