यह स्नेह सिर्फ उनकी ओर से ही नहीं था। पूर्व सांसद राघव लखनपाल शर्मा भी उन्हे अपना राजनीतिक पिता मानते थे। पिछले दिनाें जब उन्हे अरुण जेटली की तबियत बिगड़ने की सूचना मिली ताे तुरंत दिल्ली चले गए। इस दाैरान वह करीब 15 दिन तक एम्स AIMS में रहे। जब उन्हे अरुण जेटली के इस दुनिया से जाने की खबर मिली ताे उनकी आखें भर आई वह राे पड़े और उनका गला भी भर आया। उन्हाेंने सिर्फ यही कहा कि मुझे ऐसा लग रहा है जिसे पूरी दुनिया छिन गई हाे।
पहली बार अरुण जेटली 1989 में सहारनपुर आए थे। उस समय वह दिल्ली के छात्र संघ अध्यक्ष थे। उस दाैरान उन्हाेंने नुमाईश कैंप में आयाेजित एक चुनावी सबा काे संबाेधित किया था। तब वह भाजपा नेता सुशील मित्तल के आवास पर रुके थे। अंतिम बार वह 2009 में सहारनपुर आए थे। इस दाैरान भी उन्हाेंने बेरीबाग में ही चुनावी संभा संबाेधित किया था।
सहारनपुर पालिका प्रत्याशी का लड़ा था चुनाव 1985 में अरुण जेटली दिल्ली की तीस हजारी काेर्ट में बैठा करते थे। उस दाैरान उन्हाेंने सहारनपुर के रहने वाले कृष्ण लाल ठक्कर का मुकदमा लड़ा था। दरअसल कृष्ण लाल ठक्कर चुनाव हार गए थे लेकिन उन्हाेंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और अपने विराेधी प्रत्याशी पर सरकारी पद पर रहते हुए चुनाव लड़ने का आराेप लगाए थे। इस तरह अरुण जेटली का सहारनपुर से गहरा नाता रहा है और अरुण जेटली के निधन पर सहारनपुर में भी दु:ख का माहाैल है।
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