रिपाेर्टरः चुनाव नतीजाें के बारे में क्या कहना चाहेंगे ? राघवलखन पाल शर्माः हमे पिछले चुनाव में 4 लाख 73 हजार वाेट मिला था। इस चुनाव में हमे 4 लाख 98 हजार से भी अधिक वाेट मिला है। पिछली बार 39 प्रतिशत वाेट मिला था इस बार 40 प्रतिशत वाेट मिला। इसका मतबल यही है कि हमारा जनाधार कम नहीं हुआ।
रिपाेर्टरः इस बार आपकाे पिछली बार से अधिक वाेट मिला फिर भी जीत नहीं पाए क्या वजह लगती है ? राघव लखन पाल शर्माः इसकी वजह गठबंधन का जाे परम्परागत वाेट है उनका जाे जुड़ाव बनता है वह है। इसी वजह से यह टिपिकल सीट थी। सभी ने काफी मेहनत की गठबंधन के वाेट जुड़ने से उनका ग्राफ बढ़ गया इसी वजह से हम जीत नहीं पाए।
रिपाेर्टरः आगे आपकी क्या रणनीति रहेगी ? राघव लखन पाल शर्माः हम मेहनत करेंगे, नरेंद्र माेदी जी पुनः प्रधानमंत्री बन रहे हैं। हम लाेगाें की सेवा करेंगे। हमारी जाे याेजनाएं अभी तक अधर में हैं उन्हे पूरा कराएंगे। जिस तरह से पहले कार्य किया है इसी तरह से अब भी कार्य करेंगे।
रिपाेर्टरः मतदाताओं के लिए क्या कहेंगे राघव लखन पाल शर्माः मतदाताओं का धन्यवाद है पिछली बार से अधिक वाेट मिला है अब भले ही कुछ वाेटराें ने गठबंधन काे चुना लेकिन हम सभी के लिए काम करेंगे।
रिपाेर्टरः हार की प्रमुख वजह क्या मानते हैं ? राघव लखन पाल शर्माः बड़ा फैक्टर गठजाेड़ ही है। गठबंधन हाेने पर समीकरण इस प्रकार के बन जाते हैं कि वाे हमसे अधिक वाेट पा जाते हैं।
रिपाेर्टरः आप पहले भी काेई चुनाव हारे हैं ? राघव लखन पाल शर्माः जी एक बार मैं 2002 में विधानसभा का चुनाव हारा था। इसके बाद अब लाेकसभा चुनाव 2019 में हार हुई है।
रिपाेर्टरः पांच साल सांसद रहने के बाद अब हार की खबर मिलती हैं ताे कैसा लगता है ? राघव लखन पाल शर्माः देखिए निश्चित रूप से बुरा ताे लगता ही है लेकिन मुझसे भी अधिक उन लाेगाें काे बुरा लग रहा हाेगा जिन्हाेंने चुनाव में कड़ा परिश्रम किया। 24-24 घंटे लगें रहे। बावजूद इसके यही कहना चाहूंगा कि जिस तरह से माेदी जी अब दाेबारा से प्रधानमंत्री बन रहे हैं ताे फिर से मेहनत करेंगे।
रिपाेर्टरः प्रदेश और देश में भाजपा की सरकार है, सहारनपुर की जनता ने गठबंधन के प्रत्याशी काे चुना है, क्या आपकाे लगात है कि अगर भाजपा के ही सांसद काे जनता चुनती काे अधिक विकास कार्य हाेता ?
राघव लखन पाल शर्माः हां ये ताे है, इसका फर्क ताे पड़ता ही है। फिर भी हम मेहनत करेंगे। यह अलग बात है कि सांसद रहकर जिन कार्याें काे आसानी से करा लेते उन्ही कार्याें काे करने के लिए अब अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है लेकिन फिर भी जनता के लिए कार्य करेंगे।