यानि साफ है कि गठबंधन टूटने से भाजपा ने यह सीट बचा ताे ली लेकिन पांच माह में ही गंगाेह क्षेत्र में भाजपा के जनाधार काे काफी तगड़ा नुकसान हाेना दिखाई दे रहा है। यह संकेत आने वाले चुनावों में भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। आंकड़ाें पर नजर डाली जाए तो भाजपा काे इस सीट पर इस बार पिछले चुनाव की अपेक्षा आधे ही वाेट नहीं मिल पाए है। अभ चर्चाएं यही हैं कि इस बार इस सीट पर याेगी फैक्टर भी काम नहीं आया है। दरअसल गंगाेह उप चुनाव से पहले दाे बार मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ ने गंगाेह विधान सभा क्षेत्र में चनसभा की थी।
सपा का भी गिरा ग्राफ गंगाेह उप चुनाव में समाजवादी पार्टी का हाल भी भाजपा जैसा ही है। कैराना लाेक सभा उप चुनाव में समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी तबस्सुम हसन काे 1 लाख 2 हजार 598 वाेट मिले थे। इस बार महज 57 हजार 374 वाेट ही मिले हैं। यानि समाजवादी पार्टी काे भी डैमेज कंट्राेल करने की जरूरत है और लगातार ग्राफ घट रहा है।
कांग्रेस का बढ़ा पांच गुना जनाधार भाजपा और समाजवादी पार्टी की छाेड़ दें ताे कांग्रेस का जनाधार बढ़ा है। पिछली बार की अपेक्षा इस बार कांग्रेस काे करीब पांच गुना अधिक वाेट मिले हैं। पिछली बार लाेकसभा चुनाव में कांग्रेस के हरेंद्र मलिक काे 18 हजार 607 वाेट मिले थे जबकि इस बार नाेमान मसूद काे 62 हजार 881 वाेट मिले हैं।
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