जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने यह बातें की। उन्होंने कहा कि कि देश में हालात बदले जा रहे हैं, नकारात्मक राजनीति के अवसर तलाशे जा रहे हैं। मंदिर-मस्जिद के विवादों को सुर्खियां दी जा रही हैं। ऐसे विवाद खड़े करके देश की अमन-शांति को नुकसान पहुंचाने की साजिश रची जा रही है। अखंड भारत का निर्माण ऐसे नहीं होगा, सभी को साथ लेकर चलने से ही राष्ट्र निर्माण संभव है।
मदनी बोले कि मुसलमान इस देश के ही हैं, वो कोई गैर नहीं हैं। देश का मुसलमान अपने देश के लिए जान देने को तैयार रहा है और रहेगा। मंच से आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि आज हमारे वजूद का सवाल खड़ा हो गया है। हमारे ही मुल्क में हमसे पाकिस्तान जाने की बात की जाती है। उन्होंने जवाब दिया कि जिसको शौक है वो पाकिस्तान चला जाए। हमारा मजहब अलग है लेकिन देश हमारा है। हम अपने देश को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। इसी दौरान बोलते हुए उन्होंने कॉमन सिविल कोड को भी मंजूर करने से इंकार कर दिया। उन्होंने समान नागरिक संहिता को गैर संवैधानिक करार भी दिया।
दरअसल, देवबंद में जमीयत उलेमा-ए-हिंद का वार्षिक सम्मेलन चल रहा है। शनिवार को शुरू हुए इस सम्मेलन में देशभर से मुस्लिम विचारक पहुंचे हैं। शनिवार काे देश के हालातों, राजनीति और मुस्लिमों की स्थिति पर विचार विमर्श हुआ था। अब दूसरे दिन रविवार को मथुरा और ज्ञानवापी मुद्दे पर चर्चा होनी है। इससे पहले ही महमूद मदनी ने समान नागरिक संहिता पर बयान जारी करते हुए कह दिया है कि किसी भी कीमत पर समान नागरिक संहिता बर्दाश्त नहीं है।