पिछले कुछ समय से हमें सूचना मिल रही थी कि यस पर्यावरण समिति और पर्यावरण कल्याण वेलफेयर समिति की ओर पैसे लेकर फर्जी तरीके से प्रदूषण नियंत्रित प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं। मामले की सच्चाई जानने के लिए हम भी पहुंच पर्यावरण समिति और पर्यावरण कल्याण वेलफेयर समिति की ओर से चलाये जा रहे प्रदूषण नियंत्रित प्रमाण पत्र केंद्र पर। हमारे पास बाइक संख्या यूपी 11 ए आर 8815 थी, तो हमने सोचा इसी बाइक का प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र बनवाया जाए। यहां दोनों जांच केंद्रों पर मौजूद केंद्र संचालकों ने केवल बाइक का नंबर और निर्माण वर्ष पूछा और उसके बाद हमारे हाथ में प्रदूषण नियंत्रित प्रमाण पत्र थमा दिया। इसके लिए हमसे 30 रुपये के बदले 40 रुपये लिए गए।
स्टिंग के दौरान की गई बातचीत के कुछ अंश-
सवाल- आपने बाइक में कुछ चेक तो किया ही नहीं, फिर आपको कैसे पता चला कि यह कितना धुंआ दे रही है और मानकों के अनुरूप हैं?
सवाल- आपने बाइक में कुछ चेक तो किया ही नहीं, फिर आपको कैसे पता चला कि यह कितना धुंआ दे रही है और मानकों के अनुरूप हैं?
जवाब- कोई चेक नहीं करता। पूरे प्रदेश में इसी तरह से प्रदूषण नियंत्रित प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं। आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। पुलिस को भी यह बात समझ नहीं आती। आपको सिर्फ इसे दिखाना है और यह पूरे भारत में 6 महीने के लिए वैलिड है।
सवाल- क्या यह पड़ोसी राज्य उत्तराखंड और हरियाणा में भी मान्य होगा? जवाब- आप परेशान ना हो यह पूरे भारत में मान्य है। हमने इसको बिल्कुल अच्छे से बनाया है, यह अलग बात है कि हमने आपके वाहन को चेक नहीं किया। यहां वाहनों को चेक नहीं किया जाता। सबकी मशीनें खराब पड़ी हैं। पूरे प्रदेश में इसी तरह से चल रहा है और आगे भी चलता रहेगा।
सवाल- प्रमाण पत्र पर तो महज 30 रुपये लिखे हैं, फिर आप 40 रुपये क्यों ले रहे हैं ? जवाब- 10 रुपये कंप्यूटर का चार्ज है। ये तो थी बाइक की बात। लेकिन, जानकारी के मुताबिक, कार, ट्रक और कई हेवी वाहनों के भी इसी तरह से फर्जी प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं। इसके बदले उनके चंद रुपये ज्यादा लिए जाते हैं।
क्या कहते हैं पुलिस अधीक्षक इस बारे में हमने सहारनपुर शहर पुलिस अधीक्षक प्रबल प्रताप सिंह को जानकारी दी और उन्हें वह दोनों प्रदूषण नियंत्रित प्रमाण पत्र दिखाएं, जो हमने बनवाए थे। एसपी सिटी प्रबल प्रताप सिंह ने पूरे मामले की जांच कराए जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि जल्द शहर में जितने भी प्रदूषण नियंत्रित प्रमाण पत्र जारी करने वाले सेंटर काम कर रहे हैं, सबकी चेकिंग कराई जाएगी और अगर ऐसा पाया जाता है तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
तो सहारनपुर से हजारों की संख्या में जारी हो चुके हैं फर्जी प्रमाण पत्र जिन दो केंद्रों से हमने यह प्रमाण पत्र बनवाए हैं उनके सीरियल नंबर से पता चलता है कि वह अभी तक इसी तरह से हजारों फर्जी प्रमाण पत्र जारी कर चुके हैं। यस पर्यावरण समिति का जो सेंटर देहरादून रोड पर माहीपुरा के पास है, वहां से जो प्रमाण पत्र हमें मिला उस पर सीरियल नंबर 3297 है। दूसरा प्रमाण पत्र हमने पर्यावरण कल्याण वेलफेयर समिति के केंद्र पर बनवाया, यह भी माहीपुरा के पास ही है। इस पर सीरियल नंबर 15551 लिखा है। यानी, हमसे पहले यह प्रदूषण केंद्र 15000 से अधिक वाहनों को फर्जी प्रदूषण नियंत्रित प्रमाण पत्र जारी कर चुका है। जाहिर सी बात है, ये सभी वाहन किसी न किसी रूप में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहे होंगे और पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहे होंगे।