गौरव की इसी हरकत से परेशान होकर उसने आत्महत्या का निर्णय किया और खुद को आग लगा ली। इस पूरे मामले में पुलिस ने चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की थी। यह मामला अपर जिला जज ललित नारायण झा की अदालत में विचाराधीन था। अदालत ने गौरव को दोषी पाते हुए सात साल की सजा सुनाई है। दस हजार रुपये का अर्थ दंड भी लगाया है।
अदालत के फैसले के बाद महिला के परिजनों ने कहा कि आज उन्हे इंसाफ मिला है। घटना के बाद से ही वह आरोपी को जेल की सलाखों के पीछे देखना चाहते थे।
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