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रमजान में दारुल उलूम का इफ्तार को लेकर फतवा, इनके यहां शिया मुसलमानों के इफ्तार पार्टी में जाने पर रोक

locationसहारनपुरPublished: Jun 06, 2018 01:46:49 pm

Submitted by:

Ashutosh Pathak

दारुल उलूम के इस फतवे नें इस्लाम धर्म में एक नई बहस छेड़ दी है

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रमजान में दारुल उलूम का इफ्तार को लेकर फतवा, कहा-शिया मुसलमानों की इफ्तार पार्टी में न जाएं सुन्नी

देवबंद। इस्लाम धर्म में रमजान का पवित्र महीना चल रहा है, लोग दिन भर रोजा रखते हैं और शाम को आपस में भाईचारे के साथ इफ्तार करते हैं। लेकिन विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षा केंद्र दारुल उलूम ने इस पवित्र महीने में भी एक फतवा जारी कर दिया है। इतना ही नहीं अगर आप फतवा के बारे में जानेंगे तो हैारान रह जाएंगे। दारुल उलूम के फैसले ने मुसलमनों के बीच ही खाई खोदने की कोशिश कर दी है। क्योंकि देवबंद के नए फतवे के मुताबिक शिया मुसलमानों की इफ्तार पार्टी में सुन्नियों के जाने पर रोक लगा दी गई है।
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देवबंद स्थित दारुल उलूम ने अपने फतवों की लिस्ट में एक और नया फतवा जोड़ लिया है। लेकिन इस बार जो फतवा जारी किया गया है शायद उससे मुस्लिम समाज भी इत्तेफाक नहीं रखता होगा। दरअसल मोहल्ला बड़जिया उलहक निवासी सिकंदर अली ने दारुल उलूम में स्थित फतवा विभाग के मुफ्तियों से लिखित में सवाल किया था कि रमजान के महीने में शिया हजरात की तरफ से रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जाता है, तो सुन्नी मुसलमान उसमें शामिल हो सकते हैं। इसी सवाल के जवाब में तीन मुफ्तियों की खंड पीठ ने फतवा जारी करते हुए सुन्नी मुसलमानों को शिया मुसलमानों की इफ्तार पार्टी में शामिल न होने की हिदायत दी है और शरीयत का हवाला देते हुए कहा कि सुन्नियों को शिया के यहां जाने से परहेज करना चाहिए। इतना ही नहीं एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए कहा कि शादी, दावत में भी शियाओं के यहां खाने-पिने से परहेज करें।
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आपको बता दें कि इस्लाम धर्म में पहले से ही शिया और सुन्नी मुसलामानों के बीच विवाद चला आ रहा है। ऐसे में दारुल उलूम के मुफ्तियों का ये बयान एक नई बहस छेड़ सकता है। अब देखना होगा कि मुसलिम समाज इसे किस तरह लेता है।
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