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लाल खत की रस्म को बताया गलत दारुल उलूम ने मुजफ्फरनगर के एक व्यक्ति का जवाब देते हुए मौलवियों ने जवाब देते हुए कहा कि लालखत विदेशी परंपरा है। यह गैर इस्लामिक है। उन्होंने कहा कि समान्य खत, पोस्टकार्ड व फोन कॉल कर निमत्रंण दिया जा सकता है। उसके अनुसार, शादी की तारीख बताने के लिए लाल खत के प्रयोग को गलत बताया गया। जवाब में कहा गया है कि शादी में लाल खत भेजने की रस्म गैर मुस्लिमों की तरफ से शुरू हुई है। इस रस्म को करना और इसमें शामिल होना जायज नहीं है। उन्हाेंने लाल खत की रस्म को छोड़ने की सलाह दी। मामा न बैठाए दुल्हन को गाड़ी या पालकी में देवबंद के फतवा विभाग ने मामा का भांजी को गोद में लेने को गलत बताया है। भांजी को गोदी में लेकर डोली व पालकी में बैठाने की परंपरा को गलत बताते हुए इस रस्म को भी छोड़ने की नसीहत दी गई। मुफ्तियों का कहना है कि नौजवान भांजी को गोद में उठाकर ले जाना बेशर्मी होती है। उनके अनुसार, बेहतर है कि दुल्हन खुद चलकर गाड़ी या पालकी में जाए। तीसरे सवाल का जवाब देते हुए मुफ्तियों ने कहा कि अगर छल्लों पर किसी प्रकार की मूर्ति नहीं बनी हुई है तो महिलाएं उसे पहन सकती हैं।
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