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मामा अब नहीं बैठा सकेगा भांजी को डोली या पालकी में, जानिए क्यों

locationसहारनपुरPublished: Nov 12, 2018 11:15:25 am

Submitted by:

virendra sharma

देवबंद के दारुल उलूम ने मुस्लिम शादियों में होने वाली कई रस्‍मों को छोड़ने का फतवा जारी किया है।

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मामा अब नहीं बैठा सकेगा भांजी को डोली या पालकी में, जानिए क्यों

सहारनपुर. देवबंद के दारुल उलूम ने मुस्लिम शादियों में होने वाली कई रस्‍मों को छोड़ने का फतवा जारी किया है। दारुम उलूम ने इन्हें गैर—इस्लामिक प्रथा बताया है। हालही में एक शख्‍स ने दारुल उलूम के इफ्ता विभाग से तीन सवाल के जवाब मांगे थे। इसमें लड़की के परिवार की तरफ से लड़के के परिवार को भेजे जाना वाला लाल खत भी शामिल है। इसके अलावा मामा द्वारा दुल्‍हन को गोदी में उठाकर गाड़ी में बैठाना और महिलाओं की तरफ से हाथ व पांव की अंगुलियों में पहने जाने वाले छल्ले के बारे में शरई राय मांगी गई थी। जिससे देखते हुए दारुल उलूम ने राय दी है।
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लाल खत की रस्म को बताया गलत

दारुल उलूम ने मुजफ्फरनगर के एक व्यक्ति का जवाब देते हुए मौलवियों ने जवाब देते हुए कहा कि लालखत विदेशी परंपरा है। यह गैर इस्लामिक है। उन्होंने कहा कि समान्य खत, पोस्टकार्ड व फोन कॉल कर निमत्रंण दिया जा सकता है। उसके अनुसार, शादी की तारीख बताने के लिए लाल खत के प्रयोग को गलत बताया गया। जवाब में कहा गया है क‍ि शादी में लाल खत भेजने की रस्म गैर मुस्लिमों की तरफ से शुरू हुई है। इस रस्म को करना और इसमें शामिल होना जायज नहीं है। उन्‍हाेंने लाल खत की रस्म को छोड़ने की सलाह दी।
मामा न बैठाए दुल्हन को गाड़ी या पालकी में

देवबंद के फतवा विभाग ने मामा का भांजी को गोद में लेने को गलत बताया है। भांजी को गोदी में लेकर डोली व पालकी में बैठाने की परंपरा को गलत बताते हुए इस रस्‍म को भी छोड़ने की नसीहत दी गई। मु‍फ्त‍ियों का कहना है क‍ि नौजवान भांजी को गोद में उठाकर ले जाना बेशर्मी होती है। उनके अनुसार, बेहतर है कि दुल्हन खुद चलकर गाड़ी या पालकी में जाए। तीसरे सवाल का जवाब देते हुए मु‍फ्त‍ियों ने कहा कि अगर छल्लों पर किसी प्रकार की मूर्ति नहीं बनी हुई है तो महिलाएं उसे पहन सकती हैं।

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