दारूल उलूम की ओर से यह फतवा एक सवाल के जवाब में जारी किया गया है। दरअसल, सहारनपुर के रहनेवाले एक शख्स ने दारूल उलूम के फतवा विभाग से जानकारी मांगी थी कि क्या उसकी पत्नी आइब्रो बनवा सकती है? इतना ही नहीं उस व्यक्ति ने बाल कटटवाने को लेकर भी सवाल किया था? वहीं, जवाब में दारूल इफ्ता ने फतावा जारी करते हुए कहा है कि इस्लाम में आइब्रो बनवाने और बाल काटने की इजाजत नहीं है। अगर कोई महिला ऐसा करती है तो वह इस्लाम के खिलाफ है। फतवा विभाग की ओर से यह तर्क दिया गया है कि महिलाओं के लिए जो दस प्रतिबंध बताए गए हैं, उनमें बाल काटना और आइब्रो बनवाना भी शामिल है। इतना ही नहीं फतवा में यह भी कहा गया है कि मुस्लिम महिलाओं के बाल उनकी जीनत होते हैं। यानि बाल महिलाओं की खूबसूरती होती है। जब तक कोई बेहद मजबूरी ना हो, तब तक बाल नहीं कटवाने चाहिए। बगैर किसी मजबूरी के बाल कटवाना नाजायज है। मौलाना लुतफुर्रहमान सादिक कासमी मोहतमिम जामिया फातिमा जोहरा एग्लो अरबी ने इस फतवे की पुष्टि की है और फतवे को जायज ठहराया है। उनका कहना था कि दारूल को यह फतवा काफी पहले ही जारी कर देना चाहिए। उनके मुताबिक, मुस्लिम महिलाएं इन दिनों ब्यूटी पार्लर का काफी इस्तेमाल कर रही हैं, जो सही नहीं है। मौलाना ने आगे बताया कि जिस तरह पुरुषों का दाढ़ी कटवाना नाजायज है , उसी तरह महिलाओं का बाल कटवाना और आइब्रो बनवाना भी गलत है।