मामला सहारनपुर पुराने शहर का है। यहां एक हिंदू परिवार ने मुस्लिम बच्चियाें काे कंजक माना। सिर्फ कंजक ही नहीं माना बल्कि अष्टमी वाले दिन उनके पैर धाेकर पूरे आदर सत्कार के साथ उन्हे अपने घर पर भाेजन कराया और तिलक लगाया। इस हिंदू परिवार का कहना है कि उनके लिए कन्या सिर्फ कन्या है वह ”हिंदू” परिवार की है या ”मुसलमान” परिवार की इससे उन्हे काेई फर्क नहीं पड़ता। वह तीन वर्षाें से इसी तरह से कंजक जिमाते रहे हैं। इन मुस्लिम बच्चियाें के माता-पिता ने भी इस आदर सत्कार का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हे इससे काेई परहेज नहीं है। यह अच्छी बात है और दुनियाभर के लिए हिंदू मुसलमानाें के लिए नजीर है, लेकिन इससे पहले कि यह अच्छी बात देश-दुनिया तक जाती धर्म गुरुओं ने ही इस पर सवाल खड़े कर दिए। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने ही इस मसले पर अपनी अलग-अलग राय दे दी।
देवबंदी आलिम ने कहा इस्लाम में इजाजत नहीं
इस बारे में जब देवबंदी आलिम से बात की गई ताे उन्हाेंने साफ कह दिया कि मुस्लिम बच्चियाें की इस तरह से पूजा करना या फिर उन्हे तिलक करना या फिर उनके सामने सिर झुकाना गलत है। इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है। मदरसा जामिया शेखुल हिंद के मुफ्ती अरशद कासमी ने कहा है कि मुस्लिम बच्चियाें काे हिंदू भाईयाें का हर पर बुलाना और भाेजन करना यहां तक काे ठीक है अच्छी बात है लेकिन उन्हे ”तिलक करना और उनकी पूजा करना” इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता। इस्लाम में तिलक लगाना जायज नहीं है।
इस बारे में जब देवबंदी आलिम से बात की गई ताे उन्हाेंने साफ कह दिया कि मुस्लिम बच्चियाें की इस तरह से पूजा करना या फिर उन्हे तिलक करना या फिर उनके सामने सिर झुकाना गलत है। इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है। मदरसा जामिया शेखुल हिंद के मुफ्ती अरशद कासमी ने कहा है कि मुस्लिम बच्चियाें काे हिंदू भाईयाें का हर पर बुलाना और भाेजन करना यहां तक काे ठीक है अच्छी बात है लेकिन उन्हे ”तिलक करना और उनकी पूजा करना” इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता। इस्लाम में तिलक लगाना जायज नहीं है।
इमाम बाेले मैं ऐसे परिवार काे सैल्यूट करता हूं
इस मामले काे लेकर इमाम व जमियत दावतुल मुसलीमीन के सरंक्षकत कारी इशहाक गाेरा के विचार बिल्कुल अलग है। उनका कहना है कि यह एक नजीर है हिंदू मुस्लिम एकता की। यह एक मिसाल है साैहार्द की। कारी इसहाक गाेरा ने यहां तक कहा है कि मैं ऐेसे परिवार काे सैल्यूट करता हूं सलाम करता हूं।
इस मामले काे लेकर इमाम व जमियत दावतुल मुसलीमीन के सरंक्षकत कारी इशहाक गाेरा के विचार बिल्कुल अलग है। उनका कहना है कि यह एक नजीर है हिंदू मुस्लिम एकता की। यह एक मिसाल है साैहार्द की। कारी इसहाक गाेरा ने यहां तक कहा है कि मैं ऐेसे परिवार काे सैल्यूट करता हूं सलाम करता हूं।
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