हमारा देश लोकतांत्रिक देश है यहां सबको अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीने का पूरा हक है और अधिकार भी है। यह अलग बात है कि किसी को भी किसी दूसरे इंसान के धर्म के प्रति टिप्पणी करने की इजाजत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि रिजवी इस्लाम से पहले ही खारिज हो चुके थे। ऐसे में वह आजाद हैं और कोई भी धर्म अपना सकते हैं। अब देखना यह होगा कि वह सनातन धर्म को कितनी वफादारी से निभाकर चलते हैं।
इत्तेहाद उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने भी कहा है कि हम उन्हें पहले से ही मुसलमान नहीं मानते थे। ऐसे में अगर वह अब किसी दूसरे धर्म में चले जाते हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने सिर्फ मुस्लिम नाम रखा हुआ था जबकि उनके सभी कार्य पहले से ही गैर मजहबी थे।
देवबंदी उलेमाओं ने यह भी कहा है कि वसीम रिजवी पहले से ही जो कार्य कर रहे थे और जिस तरह के बयान दे रहे थे उससे पहले ही साफ हाे गया था कि वह इस्लाम में नहीं टिकने वाले हैं। उनके कृत्यों के आधार पर ही उन्हे इस्लाम से ही खारिज किया गया था।