आइए जानें मुस्लिम महिलाओं का इस फैसले पर क्या कहना है देवबंद की महिला आयशा का कहना है कि वो Muslim Personal law Board के साथ हैं और उलूम देवबंद का सर्मथन करते हैं। जो Teen Talaq का मसला है उसको लेकर कुछ औरतें गलत हैं तो कुछ औरतें सही हैं। जो सही हैं वो शीरयत के अनुसार तीन तलाक का समर्थन कर रही हैं। वहीं जो महिलाएं गलत हैं वो नहीं चाहती कि तीन तलाक हो। हम सुप्रीम कोर्ट ने जो तीन तलाक को खत्म करने का फैसला दिया है हम उससे बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं। हम तो फतवा को ही मानेंगे।
वहीं एक दूसरी महिला का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस तीन तलाक वाले फैसले के साथ हम नहीं हैं। भलें ही पचास लाख महिलाओं ने तीन तलाक के मसले पर पीएम मोदी से इस पर कानून बनाने की मांग की हो लेकिन हम उन महिलाओं में से नहीं है और हम इसका बिल्कुल समर्थन नहीं करते हैं। सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर एक बार फिर से विचार करें। और इस्लाम के कानून को ध्यान में रखकर फैसला दे।
तीन तलाक पीड़िता बोलीं- मोदी सरकार बनाए ऐसा कानून कि फिर ना हो ऐसा जुल्म एक और देवबंद की महिला का भी यही कहना है कि 6 महीने के बाद जो सरकार इसपर कानून बनाएं उसको इस्लाम को ध्यान में रखकर बनाएं। इस फैसले को पूरी तरह से असंवैधानिक करार देने से जो गलत औरतें हैं उनको और भी बढ़ावा मिल जाएगा।