सोशल मीडिया पर कोविशील्ड oxfoed astraZeneca को लेकर जो लोग अपनी राय दे रहे हैं उनका कहना है कि कोविशील्ड ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और भारतीय विशेषज्ञों ने मिलकर बनाई है इसलिए यह दवा ज्यादा कारगर है। कोविशील्ड को इसलिए भी बेहतर बता रहे हैं कि इसका पता वैक्सीन लेने के बाद ही चल जाता है और वैक्सीन लेने के बाद व्यक्ति को बुखार आता है जिससे पता चल जाता है कि वैक्सीन काम कर रही है। लोग यह भी मत दे रहे हैं कोविशील्ड को दुनियाभर के 70 से अधिक देशों में लगाया जा रहा है इसलिए भी यह ज्यादा भरोसेमंद है।
को-वैक्सीन को लेकर लोगों व्हाट्सएप और फेसबुक पर अपनी राय देने वाले इस बात का दावा करते नहीं थक रहे कि को-वैक्सीन अधिक बेहतर है। को-वैक्सीन अधिक बेहतर बताने वालों की संख्या भी काफी अधिक है। इन लोगों का कहना है कि को-वैक्सीन को सीधे वायरस से बनाया गया है। इसलिए यह अधिक प्रभावशाली है और मानव शरीर पर इसके दुष्परिणाम भी कम दिखाई देते हैं। लोगों की राय है कि अब तक जिन्हे को-वैक्सीन लगी है उन्हें वैक्सीन लगवाने के बाद ज्यादा परेशानी नहीं हुई। लोग इस वैक्सीन को इस तर्क के आधार पर भी बेहतर बता रहे हैं कि 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों को अधिकांश वैक्सीनेशन केंद्रों पर को वैक्सीन लगाई जा रही है। फ्रंटलाइनर को भी को वैक्सीन दी जा रही है और ऐसे में सोशल मीडिया पर यह चर्चा हो रही है कि को-वैक्सीन अधिक बेहतर है। देश के कुछ बड़े राजनीतिक चेहरों के नाम गिनाते हुए बताया जा रहा है कि उन्होंने भी खुद को-वैक्सीन लगवाई है इसिलए यह अधिक बेहतर है। एक बड़ा कारण यह भी बताया जा को-वैक्सीन महंगी है इसलिए भी इसलिए भी यह बेहतर है।
विशेषज्ञों का यही कहना है कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीनेशन बेहद आवश्यक है। सोशल मीडिया पर जो लोग लिख रहे हैं वह सभी सुनी-सुनाई बातें लिख रहे हैं। सच्चाई यह है कि दोनों ही दवाएं बेहतर हैं कुछ स्थानों पर कोविशील्ड लगाई जा रही है तो कुछ केंद्रों पर को-वैक्सीन दी जा रही है। दोनों दवाएं वायरस को रोकने में कारगर हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी बीएस सोढी का कहना है कि लॉकडाउन में लोग खाली बैठे हैं और ऐसे में टाइम पास करने के लिए सोशल मीडिया पर अपना ज्ञान बांट रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान नहीं देना है दोनों ही दवाएं पूरी तरह से वायरस से बचाने में कारगर हैं। फ्रंटलाइनर को केवल को वैक्सीन लगाई जा रही है ? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि कई ऐसे डॉक्टर हैं केविशील्ड लगवाई गई है। यह उपलब्धता के आधार पर दोनों ही दवाएं कारगर हैं।