वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ( Wildlife Institute of India ) और सहारनपुर प्रशासन ( saharanpur administration ) ने मिलकर यह प्लान तैयार किया है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ( national highway authority ) ने इस एलिवेटेड रोड को मंजूरी दे दी है। सहारनपुर में गणेशपुर से माेहंड के बीच करीब साढ़े तीन किलोमीटर लंबा यह एलिवेटेड रोड बनाया जाएगा। यह पूरा क्षेत्र वन्य जीवो का सघन क्षेत्र है और यहां हाल ही में हाथियों की एक बड़ी श्रृंखला भी कैमरे में सामने आ चुकी है। यहां पर सामान्य रोड बनाए जाने का प्रस्ताव था लेकिन यहां वन्यजीवों की उपस्थिति देखकर अब एलिवेटेड रोड बनाए जाने का प्रस्ताव भेजा गया था। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने भी प्रस्ताव को स्वीकृत कर दिया है।
सहारनपुर और देहरादून के बीच अक्सर वन्यजीव वाहनों के सामने आ जाते हैं और हर वर्ष यहां कई वन्यजीवों की मौत हो जाती है। वन्यजीवों के संरक्षण को देखते हुए ही यह निर्णय किया गया है। अगर यहां सामान्य रोड बनती है तो हजारों पेड़ भी काटने पड़ेंगे। सहारनपुर कमिश्नर ( saharanpur commissioner ) संजय कुमार ने करीब पांच किलोमीटर रोड का प्रस्ताव एनएचआई ( NHI ) को भेजा था और वन्यजीवों की सुरक्षा का हवाला देते हुए एलिवेटेड रोड बनाए जाने की बात कही थी।
दरअसल देश की राजधानी दिल्ली से सहारनपुर तक ग्रीन एक्सप्रेसवे ( expressway ) बनाया जा रहा है। इसका निर्माण दिल्ली से शामली तक हो चुका है। एक्सप्रेस-वे को सहारनपुर से उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से जोड़ा जाना है। इसी क्रम में सहारनपुर से देहरादून के बीच भी ग्रीन एक्सप्रेस वे बनना था लेकिन इसके लिए हजारों पेड़ काटने की आवश्यकता पड़ती। इससे वन्यजीवों को नुकसान होता और इस हाइवे पर देश की राजधानी दिल्ली से उत्तराखंड की राजधानी उत्तराखंड के बीच दौड़ने वाले वाहनों से कई वन्यजीवों की जान भी खतरे में आ सकती थी। ट्रैफिक बढ़ने से यहां वन्यजीवों के एक्सीडेंट भी बढ़ जाएंगे, उसी को देखते हुए अब एलिवेटेड रोड बनाए जाने पर स्वीकृति दी गई है।
सहारनपुर कमिश्नर संजय कुमार ने बताया कि करीब पांच किलोमीटर का क्षेत्र सघन वन्यजीव क्षेत्र है। इस पूरे पांच किलोमीटर का प्रस्ताव बनाकर उनकी ओर से भेजा गया था। इसमें से साढ़े तीन किलोमीटर के प्रस्ताव को पास कर दिया गया है और गणेशपुर से मोहंड के बीच साढ़े तीन किलोमीटर एलिवेटेड रोड बनाए जाने पर एनएचआई ने स्वीकृति दे दी है।