अभी तक इस मामले में भले ही दस लाेगाें की गिरफ्तारी हो चुकी हो लेकिन इस पूरे षडयंत्र के पीछे हैकर्स के मंसूबें क्या थे इसका पता नहीं चल सका है। क्या इस पूरे गिरोह के पीछे काेई काेई राजनीतिक षडयंत्र है या फिर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोग इस गिरोह में शामिल हैं ? आईडी कार्ड बनाए जाने के लिए फंडिंग कौन करता था ? इन सभी सवालों के जवाब मिलने अभी बाकी हैं। पुलिस ने इस मामले में सोशल मीडृया पर सक्रिय राजस्थान के कोटा बारां निवासी यूट्यूबर दीपक को भी उसके भाई संजीव के साथ गिरफ्तार किया है। दीपक इस कार्य के लिए अपने भाई का एकाउंट इस्तेमाल किया करता था और सैकड़ों वोटर आईडी कार्ड बना चुका है। यह भी बात भी सामने आई है कि अलग-अलग प्रदेश में इन्हाेंने अलग-अलग रेट रखे थे। यूपी और एमपी में जहां एक वोटर आईडी कार्ड बनाए जाने की कीमत 300 तक थी वहीं दिल्ली में 100 रुपए और राजस्थान में 200 रुपए तक मिलते थे।
पुलिस की अभी तक की पूछताछ में जाे बाते सामने आई हैं उनके मुताबिक भारत निर्वाचन आयोग ( Election Commission of India ) की वेबसाइट में सेंध ( Election Commission website hacking ) लगाने का मुख्य आरोपी अरमान मलिक है। अरमान ने आयोग में संविदा पर काम करने वाले आदित्य खत्री और नितिन से आईडी पासवर्ड लिया था। इसके बाद अरमान ने अलग-अलग प्रदेशों में इंटरनेट के जानकार युवाओं की तलाश की और उन्हे बताया कि काम बिल्कुल ठीक है एक आईडी कार्ड बनाने पर 100 से 300 रुपये तक मिलेंगे। इसी तरह सहारनपुर के विपुल सैनी को जोड़ा और फिर मुरैना निवासी कम्प्यूटर ऑपरेटर हरिओम सखवार को भी जोड़ लिया। अरमान ऐसे लाेगाें काे अपने साथ जोड़ता था जिन्हाेंने गांव कस्बों में जनसवुिधा केंद्र खाेल रखे थे।
जानिए अब तक की कार्रवाई
दरअसल युवाओं के एक गिरोह ने भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट काे हैक कर लिया था। इस मामले में सबसे पहली गिरफ्तारी 11 अगस्त को सहारनपुर के नकुड़ थाना क्षेत्र के गांव मच्छरहेड़ी से विपुल सैनी की हुई थी। इसके बाद दिल्ली निवासी अरमान मलिक को पुलिस ने इसके तीन साथियों के साथ गिरफ्तार किया। इन गिरफ्तारी के बाद से अब तक इस मामले में पुलिस दस आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस ने इस मामले में अरमान मलिक, विकेश, हरिओम और दीपक मेहता के खिलाफ FIR दर्ज की है। अब हरिओम की गिरफ्तारी शेष है।