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देवबन्दी आलिम मुफ्ती अहमद गौड़ ने कहा कि कोरोना जैसी खतरनाक वायरस का एक ही इलाज है कि सभी लोग लॉकडाउन का पूरी तरीके से पालन करें और सोशल डिस्टेंस का खास तौर से ध्यान रखते। इसके अलावा अपने मुंह पर मास्क लगाएं और थोड़ी-थोड़ी देर बाद अपने हाथों को सैनिटाइज करें। अगर सैनिटाइज नहीं है तो साबुन से अच्छी तरह से थोड़ी-थोड़ी देर बाद अपने हाथों को धोएं। रमजान के मुबारक महीने में इबादत का खास एहतमाम होता है। ऐसे में अपने घरों पर ही रहकर रमजान के मुबारक महीने में इबादत करें।
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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो लॉकडाउन बढ़ाने का फैसला लिया है, वह हमारी हिफाजत के लिए है। कोरोना एक खतरनाक वायरस है, जिससे काफी लोगों की जाने जा रही हैं। इस बीमारी से लोगों को बचना भी जरूरी है और बचाना भी। लाकडाउन की वजह से हम लोग मस्जिदों में नमाज नहीं पढ़ पा रहे हैं। हम घर पर ही नमाज अदा कर रहे हैं। इसी तरीके से हमें रमजान के मुबारक महीने मे भी घरों पर ही नमाज अदा करनी चाहिए और तरावीह भी घर पर ही अदा करनी चाहिए और मस्जिदों में जिस तरीके इमाम, मोअज्ज़िन व मस्जिद के ज़िम्मेदार लोग अपनी नमाज अदा करते रहे है। तरावीह भी इसी तरह पढ़ें।
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उन्होंने कहा कि मैं सभी लोगों से अपील करता हूं कि रमजान के मुबारक माह में घरों पर इबादत करें। सभी लोग इस बात का विशेष ध्यान रखें कि हमारे देश में बहुत लोग ऐसे हैं, जिनका रोज का करना और खाना है। उन लोगों का ध्यान रखते हुए उनकी रोजा-इफ्तारी व सहरी समय पर उनके पास तक पहुंचाएं। इस लॉकडाउन के दौरान जो गरीब-गुरबा लोग हैं। चाहे वह हिंदू हो, सिख हो, इसाई हो , सभी का हम लोगों को ध्यान रखना चाहिए। उनकी मदद करनी चाहिए। एक इंसान का दूसरे इंसान पर हक भी है, जो इंसान पैसे वाला है, उसकी जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने से कमजोर की मदद करें। बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जो किसी से कह नहीं सकते। उनके पास सहरी और इफ्तारी का सामान मुहैय्या कराएं। अपने घरों पर ही तरावीह पढ़ें और ज़्यादा से ज़्यादा इबादत करें। अल्लाह के सामने रो-रो कर गिड़गिड़ाकर दुआ करें और अपने गुनाहों की तौबा करें। इसके अलावा देश और पूरी दुनिया की हिफाजत के लिए भी अल्लाह से दुआ की जाए।