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दरअसल, उत्तराखण्ड के रक्षा अभियान दल ने बद्रीनाथ में रह रहे मुसलमानों को बद्रीनाथ छोड़ने की धमकी देते हुए कहा था कि बद्रीनाथ में रह रहे मुसलमानों के लिए गौ-मूत्र और गंगाजल पीना अनिवार्य किया जाएगा, जो मुसलमान गौ-मूत्र नहीं पीएंगे, उन्हेंन बद्रीनाथ में रहने नहीं दिया जाएगा। इसी पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए उन्होंने ये बातें कही। मौलाना ने कहा कि इस दल के अंदर कोई भी पढ़ा लिखा व्यक्ति नहीं है। दल के पदाधिकारियों को इतिहास पता होता तो ऐसी बात नहीं करते। मौलाना ने कहा कि इन लोगों ने इतिहास नहीं पढ़ा है। इतिहास नहीं मालूम होने की वजह से ये फजूल की बकवासबाजी कर रहे हैं। असली बात तो यह है यह संगठन पहले इतिहास उठाकर देखे। बद्रीनाथ मुसलमानों का धार्मिक स्थल है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से की कार्रवाई की मांग
मौलाना ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मांग की है कि इतिहास के मुताबिक बद्रीनाथ धाम को मुसलमानों के हवाले किया जाए और उसको बद्री शाह का नाम वापस लौटाया जाए।
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इतना ही नहीं उन्होंने उल्टा सीधा बयान देने वालों के खिलाफ भी उत्तराखंड सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कार्रवाई की मांग की है। उत्तराखंड रक्षा दल की ओर से दी गई धमकी और उस पर देवबंद के उलेमा का यह जवाब, देश में एक नई बहस को जन्म दे सकता है। अभी अयोध्या में राम मंदिर या बाबरी मस्जिद का मामला सुलझा भी नहीं है। इस मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्था कर रहे आध्यात्मिक धर्म गुरु श्री श्री रविशंकर ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। ये मामला अभी सुलझेगा या नहीं यह तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन, राजनीतिज्ञों को बैठे-बिठाए अब बद्रीनाथ और बदरुद्दीन शाह का नया मामला हाथ लग गया है।