देश में तीन कृषि कानून आने के बाद मंडी शुल्क की व्यवस्था खत्म हो गई थी। इस कानून के बाद कोई भी किसान कहीं भी अपनी फसल बेच सकता था। देशभर में अभी तक मंडी व्यवस्था थी जिसके लिए शुल्क लिया जाता था लेकिन जैसे ही तीनों कृषि कानून बहाल हुए तो मंडी शुल्क की व्यवस्था स्वतः ही समाप्त हो गई। जिन व्यापारियों के लाइसेंस बने हुए थे उनके लाइसेंस भी रद्द हो गए। इसी बीच कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने आंदोलन खड़ा कर दिया और लंबे चले आंदोलन के बाद सरकार को किसानों के सामने झुकना पड़ा। सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए गए। अब कृषि कानून रद्द होने के बाद मंडियों में एक बार फिर से मंडी शुल्क की पुरानी व्यवस्था शुरू हो गई है।
अब पुरानी व्यवस्था शुरू होने के बाद मंडी के बाहर व्यापार करने वाले व्यापारियों को मंडी प्रशासन ने निर्देशित कर दिया है कि वह अपने लाइसेंस बनवा लें। लाइसेंस बनवाने के लिए व्यापारियों ने ई-मंडी पोर्टल पर पंजीकरण करना शुरू कर दिया है। लाइसेंस प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसी वर्ष यानी दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में शुल्क वसूलना भी शुरू हो जाएगा। मंडी सचिव अशोक गुप्ता का कहना है कि मंडी शुल्क के लिए लाइसेंस प्रक्रिया शुरू हो गई है। पोर्टल खुल गया है। दिसंबर के अंत तक टैक्स लेना भी शुरू हो जाएगा। जो भी व्यापारी लाइसेंस बनवाना चाहते हैं उन्हें ई पोर्टल पर आवेदन करना होगा।