बारी-बारी से दी गई श्रद्धाजंलि शहीद जबर सिंह काे यहां माैजूद जनप्रतिनिधियाें आैर पुलिस प्रशासनिक अधिकारियाें के अलावा यहां पहुंचे हजाराें लाेगाें ने श्रद्धाजंलि दी। जब जबर सिंह का पार्थिव शरीर पहुंचने की खबर फैली ताे गांव के लाेग दाैड़ पड़े। गांव से कई किलाेमीटर पहले ही युवाआें ने तिरंगे में लिपटे जबर सिंह के शरीर काे कंधाें पर उठा लिया। कई किलाेमीटर तक युवा आैर गांव के अन्य लाेग जबर सिंह के शरीर काे अपने कंधे पर लेकर गांव पहुंचे। जबर सिंह की अंतिम यात्रा पर पुष्पवर्षा हाेती रही आैर इस अंतिम यात्रा में शामिल लाेग भारत की जय आैर अमर शहीद जबर सिंह के नारे लगाते रहे।
घटना काे लेकर अभी भी संशय जबर सिंह कैसे शहीद हुए इस सवाल का जवाब अभी तक स्पष्ट नहीं है। यह बात सामने आ रही है कि बम फटने से हुए धमाके की चपेट में आने से जबर सिंह शहीद हुए लेकिन यह घटना कैसे हुई इसकी अधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। बता दें कि कोतवाली नुकुड़ क्षेत्र के गांव भैर मऊ निवासी जबर सिंह पुत्र सिताब सिंह बीएसएफ में तैनात थे। सोमवार रात बॉर्डर पर शहीद होने की उनकी खबर गांव पहुंची थी। इस खबर के साथ पूरे गांव में दुःख पसर गया था। जबर सिंह के भाई जगदीश ने गांव वालाें काे बताया था कि बार्डर पर उनके भाई जबर सिंह देश के लिए शहीद हो गए हैं। जबर सिंह सांबा सेक्टर में तैनात 173 बटालियन की यूनिट मे थे। जबर सिंह काे 13 दिसंबर को छुट्टी पर घर लौटना था और परिवार के लोग बेसब्री से उनका इंतजार कर रहे थे। परिवार ने वालाें ने साेचा भी नहीं था कि जबर सिंह छुट्टी से पहले ही इस तरह घल लाैट आएंगे।
बेटे ने दी मुख्गनि शहीद जबर सिंह के पार्थिव शरीर काे उनके बेटे हर्षित ने मुख्गनि दी है। यह दृश्य बेहद कष्ट वाला था। जब मासूम हर्षित ने शहीद पिता की चिता काे मुख्गनि दी ताे यह देख रहे लाेग अपनी आंखाे में आंसुआें काे राेक नहीं पाए।