मौलाना ने कहा कि इसी तरह के फैसले अमेरिका व अफगानिस्तान ने भी लिए थे। जिनके परिणाम अच्छे नहीं थे और हमें लगता है कि कश्मीर फैसले पर भी आने वाले परिणाम देश के लिए सही नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा हिंद का यह पहले दिन से मानना है कि जज्बात में आकर के कोई भी सरकार जनता का मुकाबला नहीं कर पाती है।
उन्होंने कहा कि हम पहले से कहते आ रहे हैं कि बजाय इसके यह काम सही तरीके से होना चाहिए। अमेरिका आवाम के सामने व ताकतवर था, लेकिन उसको जलील होना पड़ा। इसी तरीके से अफगानिस्तान जो कि बहुत गरीब मुल्क है, तहस-नहस हो गया। हिन्दुस्तान तो इतनी बड़ी ताकत है नहीं है। इसलिए हम समझते हैं कि हाल के जो हालात पैदा हैं शायद वह मुफीद ना हो।