आतिया ने तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम काेर्ट तक लड़ाई लड़ी थी। तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम काेर्ट जाने वाली वह देश की दूसरी मुस्लिम महिला थी। पति ने आतिया काे सिर्फ तीन तलाक ही नहीं दिया बल्कि उन पर एक ऐसा आरोप भी लगाया जिसे सुनकर दुनिया की काेई भी महिला सन्न रह जाए। जब पति काे तलाक देने का काेई कारण नहीं मिला ताे आरोप लगाया कि आतिया का चरित्र सही नहीं और उनके अपने भाई से संबंध हैं।
आतिया अपने ऊपर हाे रहे सभी अत्याचाराें काे सहन करने के लिए ताे तैयार हाे गई लेकिन अपनी बेटियाें की खातिर आतिया ने लड़ाई लड़ने का मन बनाया। इस लड़ाई में आतिया का साथ उनके भाई ने दिया। आतिया अपनी लड़ाई सुप्रीम काेर्ट तक ले गई और इसी का फल है कि वह देशभर की महिलाओं के लिए नजीर बन गई। अगर कहा जाए कि आज आतिया की वजह से ही मुस्लिम महिलाओं काे तीन तलाक कानून हथियार मिला है ताे इसमें भी काेई अतिश्याेक्ति नहीं हाेगी।
जानिए आतिया साबरी की कहानी
25 March 2012, आतिया साबरी काे आज भी यह तारीख याद है। इसी दिन आतिया की शादी हरिद्वार के सुल्तानपुर निवासी वाजिद अली के साथ हुई थी। शादी के बाद जब आतिया ने दाे बेटियाें काे जन्म दिया ताे पति ने उन्हे मायके भेज दिया और फिर कागज के एक टुकड़े पर तीन तलाक लिखकर आतिया के ऑफिस में फिंकवा दिया।
25 March 2012, आतिया साबरी काे आज भी यह तारीख याद है। इसी दिन आतिया की शादी हरिद्वार के सुल्तानपुर निवासी वाजिद अली के साथ हुई थी। शादी के बाद जब आतिया ने दाे बेटियाें काे जन्म दिया ताे पति ने उन्हे मायके भेज दिया और फिर कागज के एक टुकड़े पर तीन तलाक लिखकर आतिया के ऑफिस में फिंकवा दिया।
यहीं से आतिया की लड़ाई शुरु हुई। यह अलग बात है कि, वह अपने ऊपर हाेने वाले सभी अत्याचार के सहने के लिए तैयार हाे गई थी लेकिन बेटियाें काे देखकर आतिया से रहा नहीं गया और उन्हाेंने अपनी बेटियाें की खातिर तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ने का पक्का मन बना लिया। उस दिन से आज तक वह अपनी लड़ाई लड़ रही हैं। आतिया की दो बेटियां हैं सादिया व सना।
सादिया फर्स्ट (Frist) में हैं और सना एलकेजी (LKG) में हैं। आतिया कहती हैं कि वह टूट गई थी लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी इस लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ा। तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाली पांच याचिकाकर्ताओं में आतिया दूसरे नंबर की याचिकाकर्ता थी और आतिया साबरी आज देश भर की मुस्लिम महिलाओं के लिए नजीर बनी हैं। तीन तलाक के खिलाफ जो कानून आया है उसमें आतिया की लड़ाई भी शामिल है।
तीन तलाक के बाद से ही आतिया अपने मायके में रह रही हैं और अपनी दोनों बेटियों का पालन पोषण कर रही हैं। अपनी दोनों बेटियों को पढ़ा रही हैं। मुस्लिम महिलाओं के लिए नजीर बनी आतिया तीन तलाक के खिलाफ कानून बनवाने की लड़ाई में तो मददगार साबित हुई और मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलाने में तो कामयाब हो गई लेकिन अभी तक अपनी उनकी लड़ाई जारी है।
आज भी आतिया कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रही हैं। कोर्ट कचहरी की तारीखें अब उनकी दिनचर्या में शुमार हो चुकी हैं और इस लड़ाई में वह इस तरह से रम चुकी हैं कि उन्हें हर एक वह तारीख भी याद है जब उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ आया। तीन तलाक मिलने से लेकर केस फाईल हाेने तक और मुकदमाें की तारीख से लेकर बेटियाें की फीस की तारीख तक अब आतिया की जिंदगी का हिस्सा बन गई हैं।
आतिया अपने भाई के यहां सहारनपुर में रहती हैं और किसी तरह अपनी बेटियाें काे पढ़ा रही हैं। आतिया को उम्मीद है कि उन्हें इंसाफ जरूर मिलेगा और वह इसी उम्मीद के साथ अपने मुकदमों की पैरवी कर रही है। वह हर तारीख पर समय से कोर्ट पहुंचती हैं और फिर अदालत की कार्यवाही शुरु होती है। आतिया साबरी एक वकील भी कहते हैं कि वह पूरी मेहनत के साथ अपनी लड़ाई काे लड़ती हैं।