सर्वप्रथम अपने पूजा घर में पूरब और उत्तर के कोने में रेत या मिट्टी में जाैं बोएं। उसके ऊपर जल से भरा हुआ कलश रखें। कलश में एक सुपारी दो लोंग दो इलायची, दूर्वा (घास) एक जायफल एक पान का पत्ता एक आम की टहनी पिसी हुई थोड़ी हल्दी रोली एवं गंगाजल डालें। आम के पत्ते कलश के ऊपर रखें। ध्यान रहे, आम के पत्तों की संख्या 5,7,9 या 11 होनी चाहिए। एक पात्र में चावल भरकर उसे कलश के ऊपर रखें। नारियल के ऊपर लाल चुनरी लपेटकर उसमें कुछ दक्षिणा भी रख दें। नारियल कलश के ऊपर इस प्रकार रखे कि नुकीला भाग पूरब की ओर हो। एक लाल पुष्प कलश पर चढ़ाकर कलश को प्रणाम करें। चोकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उसके ऊपर मां भगवती की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। मां को एक चुनरी अर्पण करें। मां के सामने 9 दिन के लिए अखंड ज्योत प्रज्जवलित करें। अखंड ज्योत के लिए शुद्ध देसी घी, तिल का तेल या फिर सरसों के तेल प्रयोग करना उचित रहता है । इतनी विधि ताे प्रथम नवरात्र की है जब आपकाे कलश स्थापित करना है।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।। यदि संभव हो तो मां के सम्मुख बैठकर 108 बार मां के प्रिय मन्त्र ” ओम ऐम् ह्री क्लीं चामुण्डायै विच्चै ” मंत्र का जप करें। इस प्रकार प्रतिदिन मां की आराधना करने से 9 दिन में मां प्रसन्न होकर आपको धन-धान्य सुख समृद्धि एवं सुख शांति प्रदान करेंगी। यहां यह जानना जरूरी है कि उपर जितने सामान बताए गए हैं उनमें से जाे उपलब्ध ना हाे उसे मानसिक रूप से भी आप मां काे अर्पित कर सकते हैं। जैसे अगर आपके पास मावे का भाेग नहीं है ताे मन में ध्यान करें और मां भगवती काे नमन करते हुए उन्हे मन से भाेग लगाएं।