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दरअसल अभी तक पुलिस नशा तस्करों का नेटवर्क तोड़ने के लिए मुखबिर पर ही निर्भर रहती है। मुखबिर की सूचना पर पुलिस बड़े तस्करों को तो गिरफ्तार कर लेती है लेकिन युवा पीढ़ी तक नशीले पदार्थों को पहुंचाने वाले छोटे तस्करों तक पुलिस नहीं पहुंच पाती, जिससे यह नेटवर्क लगातार जारी रहता है। बड़े तस्करों के स्थान पर दूसरे तस्कर आ जाते हैं लेकिन आगे का नेटवर्क इसी तरह से काम करता रहता है। अब इन छोटे तस्करों को पकड़ने के लिए भी पुलिस सक्षम होगी और पुलिस को एक आधुनिक तकनीक वाला डिटेक्टर मिलेगा। पुलिस इस डिटेक्टर की मदद से किसी भी व्यक्ति के पास चरस गांजा सुल्फा डोडा या नशे की गोलियों को ट्रेस कर सकेगी। खास बात यह है कि अगर बेहद कम मात्रा में भी नशे की पुड़िया या गोलियां किसी व्यक्ति के सामान में या फिर जेब में होगी तो उसे भी इस डिटेक्टर की मदद से आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा। यह भी पढ़ें