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सहारनपुर

समलैंगिकताः मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बयान का देवबंदी आलिम ने भी किया समर्थन, कही ये बात

देवबंदी आलिम ने कहा है कि समलैंगिकता उचित नहीं है संस्कृति काे खतरा है।

सहारनपुरSep 10, 2018 / 11:06 am

shivmani tyagi

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देवबंद।

समलैंगिकता पर आये कोर्ट के फैसले के बाद सभी धर्म के धर्म गुरुओं व समाज के लोगों ने अपने-अपने बयान दिए हैं आैर फैसले पर पुनः विचार किए जाने की बात कही है। अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अधिवक्ता के आये बयान का देवबंदी उलेमाओ ने भी समर्थन कर दिया है।
मुफ्ती अहमद गौड ने कहा है कि देश की एक परम्परा है, सभ्यता है, तहजीब है और देश के लोग आज तक इसे मानते चले आ रहे हैं। ऐसा कभी नहीं हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने कोई फैसला दिया हो और वो फैसला परम्पराओं के खिलाफ चला गया हो। सुप्रीम कोर्ट जो एक पवित्र संस्था है यह हमारे देश के लोगों के अधिकारों का रक्षक है और उस पद पर बैठने वाले लोगों का निर्णय ऐसा होना चाहिए कि वो अपनी परम्पराओं को प्रामथमिकता दें और कानून का पालन कराएं और यह वाकई प्राकृतिक तरीक़े से अप्राकृतिक कृत्य है। इसको कोई भी स्वीकार नहीं करता। बाद में इसका चलन हुआ है कुछ लोगों को गलत तरीक़े से कुछ कृत्य करने से बाधित कर दें, या उनको ऐसी आदत हो जाए ताे अक्सर इस तरह लोगों की आदत खराब हो जाती है। तो ऐसे लोगों को जो प्राकृतिक के खिलाफ चल पड़ा हो जो कुदरत के कानून का उलंघन करने लगे हो। तो ऐसे लोगों की इस फैसले से सपोर्ट पहुंची है। हम यह नहीं कहते कि हमें किसी के बिस्तर में झाकना चाहिए। कौन अपने कमरे में क्या कर रहा है हमें उसे देखने का अधिकार नहीं है मगर गलत काम को गलत कहने का अधिकार है। यह आधिकार हमें हमारा संविधान भी देता है। आप किसी भी ग्रन्थ की किताब उठाकर देखे चाहे वो गीता हो, बाईबिल हो, कुरआन हो उन सबमें इसका खंडन होता रहा है और इसकी बुराइयों के बारे में भी बताया गया है। सम लैंगिकता नेचुरल नहीं है। मर्द को औरत को ईश्वर ने अलग अलग बनावट के तरीके से बनाया है। पैदा किया और उनको उस तरीके से अपनी अपनी जायज़ ज़रूरतों को पूरा करने का तरीका भी बताया और वो ही एक ही जिस्म के आदमी इस तरह के कृत्य करने लगे वो ही अप्राकृतिक कृत्य है। मैं मुस्लिम प्रस्नल लॉ बोर्ड की तरफ से आये ब्यान का समर्थन करता हूं।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य व अधिवक्ता की ओर से ब्यान आया था कि कोई अपने बैड रूम में क्या कर रहा है उसे उस सम्बंध में किसी को कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है लेकिन अगर समाज को यह फैसला गलत लग रहा है और देश की संस्कृति को नुकसान पहुंच रहा है तो बोर्ड हर तरीके से देश के सभी नागरिकों के साथ है और यह स्पष्ट है कि समलैंगिकता इस्लाम के खिलाफ है और यदि आदर्श बन जाता है तो सौ साल बाद मानवाता मिट जायेगी लग चुकी है
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