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सहारनपुर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले राजेंद्र राजन के निधन से साहित्य जगत में शोक फैल गया है. राजेंद्र राजन मूल रूप से शामली के कस्बा एएलएम के रहने वाले थे। 1980 में वह सहारनपुर आ गए थे और उसके बाद से ही आवास विकास में रह रहे थे। उनके पुत्र प्रशांत राजा ने बताया कि वह एक कवि सम्मेलन में लखनऊ गए थे और वहां से लौटने के बाद उनकी तबीयत खराब हुई थी। यह भी पढ़ें
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हालत बिगड़ने पर जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने फेफड़ों में इन्फेक्शन बताया। राजेंद्र राजन पहले से ही शुगर के मरीज थे। ऐसे में उनकी हालत बिगड़ती देख उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। भर्ती होने के समय राजेंद्र राजन का ऑक्सीजन लेवल 48 पर था और उन्हें सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। एंटीजन किट से उनकी कोरोना जांच नेगेटिव आई। डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती करके उपचार शुरू किया लेकिन भर्ती होने के अगले दिन उनकी मौत हो गई इसके बाद उनकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट आई जिसमें वह पॉजिटिव पाए गए। परिजनों का कहना है कि चिकित्सकों ने उन्हें बचाने का काफी प्रयास किया लेकिन वह नहीं बच सके। यह भी पढ़ें