इस तरह नवरात्र के 9 दिनों में भगवती के 9 रूपों की पूजा कर भक्त अपने जीवन में सुख शांति एवं आनंद की प्राप्ति करते हैं। भगवती के नाम एवं रूप अलग अलग हैं लेकिन इनका संबंध वास्तव में भगवती माता पार्वती से ही है। माता पार्वती ही अलग अलग समय में अपने भक्तों के कल्याण के लिए अलग-अलग रूप धारण कर संसार में प्रकट होकर लीला करती हैं।
एसी मान्यता है कि, श्री गणेश जी की माता पार्वती की पूजा करने से मनुष्य को समस्त मनोवांछित फल की प्राप्ति हो जाती है। अगर आपके जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या है ताे इन नवरात्रों में मां जगदंबा की आराधना करने से आपकी समस्त समस्याओं का निवारण हो जाता है।
आईए जानते हैं माँ की पूजा करने की विधि (Shardiya Navratri) सर्वप्रथम पूजा के लिए स्थान का चयन करें। वह स्थान पवित्र होना चाहिए। पूरब (पूर्व) दिशा को पूजा के लिए शुभ माना जाता है। भगवती की पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री का संग्रह सावधानीपूर्वक करना चाहिए। शुभ स्थान, शुद्ध भाव से पवित्र वस्तुओं विधिपूर्वक की गई पूजा अवश्य ही मनोवांछित फल प्रदान करती है।
भगवती की पूजा ( Durga Puja) करने के लिए सर्वप्रथम तो किसी योग्य ब्राह्मण को निमंत्रण देना चाहिए। सात्विक ब्राह्मण के द्वारा की गई पूजा अवश्य ही यजमान का कल्याण करती है। ब्राह्मण के न मिलने पर स्वयं भी भगवती की पूजा कर सकते हैं। देवी भागवत में कहा गया है कि, भगवती का आवाहन एवं विसर्जन प्रातः काल ही करना चाहिए। भगवती के पूजा में कलश स्थापन , ज्योति स्थापन के लिए सुबह का समय उपयुक्त माना जाता है ।
ऐसे करें पूजा (Durga Puja)
पूजा की सामग्री अपने सम्मुख रखकर सबसे पहल अपने पूजा घर में पूरब और उत्तर के कोने में रेत या मिट्टी में जौं बोयें। उसके ऊपर जल से भरा हुआ कलश रखें। कलश में एक सुपारी दो लोंग दो इलायची दूर्वा (घास) एक जायफल एक पान का पत्ता एक आम की टहनी पिसी हुई थोड़ी हल्दी रोली एवं गंगाजल डालें। आम के पत्ते कलश के ऊपर रखें। आम के पत्तों की संख्या 5,7,9 या 11 होनी चाहियें। एक पात्र में चावल भरकर कलश के ऊपर रखें। नारियल के ऊपर लाल चुनरी लपेटकर उसमें कुछ दक्षिणा रखें। नारियल कलश के ऊपर इस प्रकार रखें कि नुकीला भाग पूरब की ओर हो। भगवती की पूजा करने से पहले गणेश जी की पूजा, नवग्रह की पूजा, कलश की पूजा एवंं ज्योति की पूजा करनी आवश्यक है। इसके बाद ही जगदम्बा की पूजा की जाती है।
पूजा की सामग्री अपने सम्मुख रखकर सबसे पहल अपने पूजा घर में पूरब और उत्तर के कोने में रेत या मिट्टी में जौं बोयें। उसके ऊपर जल से भरा हुआ कलश रखें। कलश में एक सुपारी दो लोंग दो इलायची दूर्वा (घास) एक जायफल एक पान का पत्ता एक आम की टहनी पिसी हुई थोड़ी हल्दी रोली एवं गंगाजल डालें। आम के पत्ते कलश के ऊपर रखें। आम के पत्तों की संख्या 5,7,9 या 11 होनी चाहियें। एक पात्र में चावल भरकर कलश के ऊपर रखें। नारियल के ऊपर लाल चुनरी लपेटकर उसमें कुछ दक्षिणा रखें। नारियल कलश के ऊपर इस प्रकार रखें कि नुकीला भाग पूरब की ओर हो। भगवती की पूजा करने से पहले गणेश जी की पूजा, नवग्रह की पूजा, कलश की पूजा एवंं ज्योति की पूजा करनी आवश्यक है। इसके बाद ही जगदम्बा की पूजा की जाती है।
एक पुष्प श्री गणेश जी को अर्पण करें। गणेश जी को नमस्कार करें। एक पुष्प नवग्रह का ध्यान करते हुए अर्पण करें। चोकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उसके ऊपर मां भगवती की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। मां को एक चुनरी अर्पण करें। यदि संभव हो 9 दिन के लिए अखंड ज्योत रखें। घर में मां जगदंबा की ज्योति स्थापन करने के बाद घर को खाली नहीं छोड़ा जाता, घर में किसी ना किसी व्यक्ति का होना आवश्यक है, यदि ऐसा संभव नहीं है तो अखंड ज्योत न जलाकर केवल पूजा के समय भी जोत जलाई जा सकती है। अखंड ज्योत के लिए शुद्ध देसी घी, तिल का तेल, अथवा सरसों का तेल प्रयोग करना उचित रहता है। मां के सम्मुख दीपक जलाकर लाल पुष्प लेकर के भगवती दुर्गा का ध्यान करें। पुष्प माँ के चरणों में अर्पण करे। माँ को वस्त्र चढ़ाएं वस्त्र के रुप में लाल चुनरी चढ़ाना उपयुक्त है। मां को रोली से सुंदर तिलक करें मां को अक्षत चढ़ाए, और एक लाल फूल मां को चढ़ाएं। मां को धूंप दीप दिखाएं भगवती को मावे से बना भोग अर्पण करें। मां को भोग लगाएं मां को दो लाल फल चढ़ाएं। पान अर्पण करें,पान के साथ दो लौंग दो इलायची और एक सुपारी भी चढ़ा सकते हैं। मां के चरणों में दक्षिणा अर्पण करें और लाल पुष्प लेकर के मां से प्रार्थना करें। प्रार्थना करते समय यह मंत्र बोले
या देवी सर्वभूतेषु
मातृरुपेण संस्थिता:।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै
नमस्तस्यै नमो नमः ।। यदि संभव हो तो मां के सम्मुख बैठकर 108 बार मां के प्रिय मन्त्र ” ओम ऐम् ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ” इस मंत्र का जप करें।
मातृरुपेण संस्थिता:।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै
नमस्तस्यै नमो नमः ।। यदि संभव हो तो मां के सम्मुख बैठकर 108 बार मां के प्रिय मन्त्र ” ओम ऐम् ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ” इस मंत्र का जप करें।
इस प्रकार प्रतिदिन की आराधना करने से 9 दिन में मां प्रसन्न होकर आपको धन-धान्य सुख समृद्धि एवं सुख शांति प्रदान करेंगी । इन बातों का रखें ध्यान मां भगवती की आराधना करते समय मन में सात्विक भाव रखना अत्यंत आवश्यक है । क्रोध को त्याग कर, काम आदि विकारों को अपने से दूर कर संसार की समस्त स्त्रियों के प्रति आदर भाव रखें। दुर्गा सप्तशती में कहा गया है
” सर्वरूपमयी देवि , सर्व देविमयंजगत ।। “
भोजन में भी सात्विकता रखें। नवरात्र में यदि संभव हो ताे फलाहारी भोजन करें, ऐसा ना कर सके ताे सात्विक भोजन ग्रहण करें । लहसुन , प्याज, मांस, मदिरा आदि तामसिक वस्तुओं का सेवन करने से मां भगवती भक्तों पर अप्रसन्न हो जाती हैं । शास्त्रोक्त विधि से की गई पूजा से ही भगवती जगदंबा भक्तों पर प्रसन्न होकर मनोवांछित वरदान प्रदान करती है।
” सर्वरूपमयी देवि , सर्व देविमयंजगत ।। “
भोजन में भी सात्विकता रखें। नवरात्र में यदि संभव हो ताे फलाहारी भोजन करें, ऐसा ना कर सके ताे सात्विक भोजन ग्रहण करें । लहसुन , प्याज, मांस, मदिरा आदि तामसिक वस्तुओं का सेवन करने से मां भगवती भक्तों पर अप्रसन्न हो जाती हैं । शास्त्रोक्त विधि से की गई पूजा से ही भगवती जगदंबा भक्तों पर प्रसन्न होकर मनोवांछित वरदान प्रदान करती है।
रविवार काे कलश स्थापन (navratri puja time) करने का शुभ समय (navratri puja shubh muhurat) सुबह 7 बजकर 42 से 12 बजकर 10 तक है। UP News से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Uttar Pradesh Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर ..