डीजीपी की घोषणा के बाद डीआईजी ने किया सम्मानित
सहारनपुर में तैनात हेड कांस्टेबल भूपेंद्र सिंह तोमर के इस जज्बे को देखकर उत्तर प्रदेश के पुलिस मुखिया ओपी सिंह ने भी हेड कॉन्स्टेबल को डीजीपी कमेंडेशन डिस्क से सम्मानित किए जाने की घोषणा की। सिर्फ घोषणा ही नहीं की डीजीपी ने व्यक्तिगत रूप से हेड कॉन्स्टेबल को फोन करके दुख की इस घड़ी में उनके दर्द को बांटा और कहा कि जिस तरह से एक जिम्मेदार पुलिसकर्मी होने का कर्तव्य जिन परिस्थितियों में बगैर विचलित हुए पूरा किया है वह पूरे उत्तर प्रदेश के लिए ही नहीं बल्कि देश की अन्य पुलिस एजेंसियों के लिए भी नजीर है। डीजीपी की इस घाेषणा के बाद सहारनपुर डीआईजी आैर सहारनपुर एसएसपी ने इस एचसीपी काे सम्मानित भी किया।
यह था पूरा मामला भूपेंद्र सिंह ड्यूटी पर थे आैर अचानक उनके फाेन की घंटी बज उठती है। फाेन उठाते ही उन्हे पता चलता है कि जिस बिटिया काे एक वर्ष पहले ही उन्हाेंने डाेली में बैठाकर विदा किया था वह अब इस दुनिया में नहीं रही। एक पिता के लिए यह एेसी खबर थी कि दाे पल के लिए सासें भी रुक जाएँ, लेकिन जिस समय भूपेंद्र सिंह काे ताैमर काे यह खबर मिली उस समय वह केवल पिता नहीं थे एक जिम्मेदार पुलिसकर्मी भी थे। भूपेंद्र सिंह ताैमर उस समय यूपी 100 की ड्यूटी कर रहे थे आैर एेक पीआरवी की जिम्मेदारी उन पर थी जाे घायल की मदद के लिए सड़क पर दाैड़ रही थी। इस पीआरवी काे सूचना मिली थी कि रामपुर मनिहारान थाना क्षेत्र में एक आदमी घायल पड़ा हुआ है जिसका काफी खून बह चुका है लेकिन सांसे चल रही हैं। भूपेंद्र सिंह बेटी की माैत की खबर सुनकर सहम से गए आैर उन्हाेंने बिना कुछ बाेले कॉल काट दी। इनके बराबर में बैठे भरत पाँचाल के कानाें में यह बात पहुंच चुकी थी कि फाेन किसी महिला ने किया है जाे राे रही थी। जब भरत पांचाल ने पूछा कि यह राेने की आवाज किसकी थी ताे एचसीपी भूपेंद्र ताैमर ने बताया कि यह आवाज उनकी पत्नी की थी जिसने खबर दी है कि मेरी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही जिसकी एक वर्ष पहले ही शादी हुई थी। यह सुनकर पीआरवी में बैठे दूसरे पुलिसकर्मी आैर गाड़ी चला रहे हाेमगार्ड ने कहा कि आप पहले अपने घर जाईये लेकिन एचसीपी भूपेंद्र सिंह ताैमर ने दुःख की इस घड़ी में भी धैर्य नहीं खाेया आैर ड्यूटी काे पहला फर्ज बताते हुए नम आंखाे से कहा कि मेरी बेटी ताे अब इस दुनिया में नहीं रही लेकिन जाे आदमी रास्ते में खून से लथपथ पड़ा है वह भी किसी का बेटा आैर हम उसकी जान बचा सकते हैं। इसलिए मेरे लिए इस समय पहला फर्ज ड्यूटी है। जब भूपेंद्र सिंह ताैमर ने यह शब्द कहे ताे उनके साथी पुलिसकर्मियाें ने मन ही मन भूपेंद्र सिंह काे सैल्यूट किया आैर रास्ते में पड़े घायल के पास पहुंचे। भूपेंद्र सिंह ताैमर उनके साथियाें ने देखा कि घायल सड़क किनारे पड़ा हुआ था जिसका काफी खून बह चुका था। एेसे में भूपेंद्र सिंह ने एम्बूलेंस का भी इंतजार नहीं किया आैर अपनी गाड़ी में घायल काे लेकर अस्पताल पहुंचे। प्राथमिक उपचार के बाद घायल काे चिकित्सकाें ने हायर सेंटर रेफर कर दिया। इसके बाद भूपेंद्र सिंह घायल काे सहारनपुर के एक अस्पताल लेकर पहुंचे आैर इस तरह अपना फर्ज पूरा करते हुए इन्हाेंने एक जान बचा ली।
गांव वालाें ने भी किया सैल्यूट
जब अस्पताल पहुंचे घायल के परिजनाें आैर गांव वालाें काे पता चला कि आज जिन एचसीपी की वजह से घायल की जान बच पाई है उसे अस्पताल ले जाने वाले शख्स ने अपनी बेटी की माैत की खबर सुनने के बाद भी उनके बेटे काे अस्पताल भिजवाया आैर घायल काे अस्पताल ले जाकर अपनी ड्यूटी का कर्ज चुकाया आैर फर्ज निभाया ताे यह जानकर गांव वालाें ने भी इस एचसीपी काे सैल्यूट किया।