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सहारनपुर

Big Breaking देवबंद दारुल उलूम ने ”हलाला” पर दिया बड़ा ”फतवा”

विश्वभर में विख्यात देवबंद दारूल उलूम ने हलाला पर जारी किया बड़ा फतवा, तय करके कराए गए हलाला काे बताया इस्लाम में ”गलत”

सहारनपुरOct 20, 2018 / 09:30 pm

shivmani tyagi

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सहारनपुर/देवबंद

इस्लामिक शिक्षा के केंद्र आैर विश्वभर में विख्यात देवबंद दारूल उलूम ने हलाला पर बढ़ा फतवा दिया है। दारूल उलूम से जारी फतवे में कहा गया है कि, ”प्राेग्राम के तहत, पहले तय करके कराया गया हलाला इस्लाम में नापंसद है। यानि अब तक देशभर में जाे भी ”हलाला” पहले से तय करके किए गए थे वह सभी गैर जायज थे। देवबंद दारूल उलूम के इस फतवे काे मुस्लिम महिलाआें के हक में बड़ा कदम माना जा रहा है। फतवे में यह भी साफ कर दिया गया है कि तलाक के बाद वह आैरत शाैहर पर ”नाजायज” हाे जाती है। आैरत काे यह हक मिल जाता है कि वह तलाक देने वाले मर्द के अलावा जिस किसी भी मर्द से चाहे निकाह कर सकती है। बावजूद इसके अगर कुछ लाेग हलाला के नाम पर बैठकर यह तय कर देते हैं कि महिला दूसरे मर्द के साथ केवल हलाला करेगी आैर फिर से अपने पुराने शाैहर के साथ निकाह करेगी ताे यह गलत है। इस्लाम में यह नापसंद है आैर इसे इस्लाम में ”लानत” माना गया है।
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इस शख्स ने पूछा था सवाल

नगर के ही मोहल्ला अब्दुलहक निवासी मोहम्मद उस्मान ने देवबंद दारूल उलूम से लिखित में सवाल किया था। इस सवाल के जवाब देवबंद दारुल उलूम के मुफ्तियों की खंडपीठ ने जारी किये फतवे में कहा है कि ”औरत पर तीन तलाक वाके हो जाए तो उसे निकाहे सानी करने का पूरा इख्तियार हो जाता है” उस पर किसी भी तरह का दबाव डालना जायज नहीं है। औरत खुदमुखतार है। वह अपने पहले शौहर के अलावा जिसे चाहे अपने निकाह सानी के लिए चुने। पहले शौहर से दोबारा निकाह करने के लिए दूसरे शौहर से जबरदस्ती तलाक कराना कतअन जायज नहीं है। हां अगर दूसरा शौहर खुद ही किसी वजह से बाद में उसको तलाक दे-दे, तो इद्दत के बाद फिर औरत को नए निकाह का हक हो जाएगा। अब अगर चाहे तो औरत अपनी मर्जी से पहले शौहर से नया निकाह कर सकती है। जिस तरह से कुछ लोग मिल बैठकर और तय करते हुए दूसरा निकाह, फिर तलाक और फिर पहले शौहर से निकाह कराते हैं, तो यह मकरूह शरीयत में नापसंद और लानत का काम है। अलबत्ता इतना जरूर है कि यदि दूसरा निकाह करने वाले व्यक्ति की खुद यह नीयत हो कि, ”मैं बाद में इसे तलाक दे दूंगा ताकि यह अपने पहले शौहर से दाेबारा निकाह कर इज्जत और खुशियों के साथ अपनी जिंदगी गुजारे तो यह कुछ हद तक इसमे गुंजाइश है”

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