दरअसल आजाद हिंद फौज के नायक सुभाष चंद्र बोस की सहारनपुर के जुबली पार्क में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की सभा हुई थी। उस समय अहरार पार्टी के महमूद अली खान ने जुबली पार्क में एक जलसा करवाया था। इसी जलसे में शरीक होने के लिए सुभाष चंद्र बोस सहारनपुर पहुंचे थे। उस समय आजाद हिंद फौज के नायक सुभाष चंद्र बोस को सुनने के लिए आसपास के जिलों और प्रदेश भर से लोग सहारनपुर आए थे। अंग्रेजी हुकूमत का इतना डर था कि कोई भी सुभाष चंद्र बोस के भाषण को प्रकाशित नहीं कर रहा था। उस दौरान डॉ गिरधरलाल प्रेमी ने यह भाषण प्रकशित किया और उन्होंने अपनी प्रेस में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाषण को प्रकाशित करने के साथ-साथ उसकी प्रतियों को बंटवाया भी था। जब कुछ लोगों ने यह बात अंग्रेजी हुकूमत तक पहुंचाई तो अंग्रेजी हुकूमत को इस बात पर बहुत गुस्सा आया और उन्होंने डॉक्टर गिरधरलाल प्रेमी की प्रेस को ही सील करा दिया था।
नेता जी के भाषण ने भर दिया था लोगों में जोश
वर्ष 1937 में जब सुभाष चंद्र बोस सहारनपुर पहुंचे तो उन्होंने अपना भाषण दिया और इस भाषण को लोगों के खून में भक्ति रस धारा उमड़ उठी। नेता जी के भाषण को सुनने के बाद सहारनपुर में कई राजनीतिक दलों ने स्वतंत्रता संग्राम में कदम रख दिया। उस समय बेलचा पार्टी और जमीयत उलेमा ए हिंद मुख्य रूप से भारत की आजादी संग्राम में कूद पड़ी। बाद में अहरार पार्टी ने 1940-41 में भारत छोड़ो आंदोलन में पूर्णाहुति दी और सक्रिय रूप से अपना अहम रोल निभा दिया। उस समय नेता जी का भाषण सुनकर कई महिलाएं भी सहारनपुर से स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ी थी।