क्या बाेली एडवाेकेट फराह फैज वीडियाे देखने के लिए यहां क्लिक करें यह बातें सुप्रीम काेर्ट की अधिवक्ता फराह फैज ने पत्रिका से बातचीत के दाैरान कही। एक सवाल के जवाब में उन्हाेंने कहा कि राजनीतिक पार्टियां इसे भले ही राजनीतिक स्टंट बता रही हाें लेकिन वास्तविक रूप में देखा जाए ताे मुस्लिम समाज की महिलाआें के लिए यह अध्यादेश जरूरी था। मुस्लिम समाज की महिलाआें काे एक तरह से सम्मान के साथ जीने का हक यह अध्यादेश देगा। फराह फैज करीब दाे दशक से मुस्लिम समाज की महिलाआें की लड़ाई लड़ रही हैं। उनका कहना है कि अकेले सहारनपुर में तीन तलाक से पीड़ित सैकड़ाें महिलाएं हैं। फराह फैज कहती है कि एक साथ तीन तलाक का दंश झेल रही महिलाआें की जिंदगी बद से बदतर हाे जाती है। एेसे में इस बिल काे मंजूरी मिलना मुस्लिम समाज की महिलाआें के लिए किसी अच्छे समाचार से कम नहीं है। खुद फराह फैज इस फैसले काे अपनी जीत मानती हैं आैर उस लड़ाई की जीत बताती हैं जिसे वह पिछले करीब 20 साल से लड़ रही थी। यह अलग बात है कि देवबंद के आलिम ने इस अध्यादेश काे मंजूरी मिलने पर इसे प्रजातंत्र का खून हाेना बताया है।