scriptइस्लाम में हिंसा की इजाजत नहीं, अमन बरकार रखें: दारुल उलूम देवबंद | Violence not allowed in Islam, keep peace: Darul Uloom Deoband | Patrika News

इस्लाम में हिंसा की इजाजत नहीं, अमन बरकार रखें: दारुल उलूम देवबंद

locationसहारनपुरPublished: Nov 04, 2020 09:02:31 am

Submitted by:

shivmani tyagi

फ्रांस की घटना के विराेध के बीच देवबंद दारुल उलूम के माेहतमित ने मुसलमानों से अमन बनाए रखने की अपील करते हुए भारत सरकार से मांग की है कि इस मामले काे समझे और कड़ा रुख इख्तियार करते हुए इसका विराेध करे।

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देवबंद दारुल उलूम

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

सहारनपुर/देवबंद। फ्रांस में नबी-ए-करीम की शान में गुस्ताखी के बाद दुनियाभर के मुसलमानो मेंं भारी रोष देखने को मिल रहा है। इसी मसले पर विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ़्ती अबुल क़ासिम नोमानी ने अमन की अपील करते हुए कहा है कि फ़्रांस सरकार की तरफ से नबी-ए-पाक के गुस्ताख़ाना कार्टून बनाने की हिमायत और अभिव्यक्ति की आज़ादी का बचाव करने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो गंभीर स्थिति पैदा हो गई है वह वास्तव मे चिंताजनक है। इस मामले पर दुनिया में बहस होनी चाहिए और इस सिलसिले में हुकूमतों को गंभीरता के साथ सोच विचार करके क़ानून बनाना चाहिए।
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दारुल उलूम के मोहतमीम मौलाना मुफ़्ती अबुल क़ासिम नोमानी ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि आए दिन मीडिया में इस्लाम और पैग़ंबर-ए-इस्लाम के बारे में नफ़रत भरी और काबिले एतेराज़ बातें प्रकाशित होती रहती हैं। सरकारें अभिव्यक्ति की आज़ादी की आड़ में इन हरकतों की हिमायत करती हैं। नबी-ए-पाक की तौहीन का मसला बेहद संगीन व असहनीय और अति निन्दनीय है। तमाम सरकारों का यह कर्तव्य है कि वो ऐसे तत्वों को लगाम लगाऐं जो तक़रीबन दाे अरब मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं।
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दारुल उलूम देवबन्द के मोहतमिम मौलाना मुफ़्ती अबुल क़ासिम नोमानी बनारसी यह भी कहा कि यह निहायत अफ़सोसनाक है कि फ़्रांस की हुकूमत ने अपने मुल्क के 60 लाख तक़रीबन 9 प्रतिशत देशवासियों और पूरी दुनिया के मुसलमानों की भावनाओं को अनदेखा करते हुए गुस्ताख़ी करने वाली मैगज़ीन की हिमायत की और सरकारी इमारतों पर इन गुस्ताख़ाना ख़ाकों के बड़े बड़े बैनर लटका दिए। इस वाक़िये से मुसलमानों में आक्रोश का पैदा होना एक फ़ित्री बात थी इसी का नतीजा था कि पूरी दुनिया में फ़्रांस की हुकूमत के कार्य के ख़िलाफ़ मुसलमानों ने विरोध प्रदर्शन किया और इसका सिलसिला अब भी जारी है। उन्हाेंने यह भी कहा कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मुहब्बत व वफ़ादारी हमारा ईमान है लेकिन इसी के साथ रह़मतुल लिलआलमीन सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शांतिपूर्ण शिक्षा भी हमेशा हमारी आँखों के सामने रहनी चाहिऐ। यानी हिंसा से बचना है इस्लाम कभी भी हिंसा की इजाजत नहीं देता।
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फ़्रांस की सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करना हमारा संवैधानिक और धार्मिक अधिकार है लेकिन अमन व शांति की रेखा को पार करने की इस्लामी तालीम में कोई जगह नहीं है। उन्हाेंने कहा कि इस घटना के जवाब में फ़्रांस के अंदर कुछ लोगों का जो हिंसा से भरा हुआ मामला सामने आया है वो भी स्वीकार्य नहीं है। अबुल क़ासिम नोमानी ने कहा कि इस सन्दर्भ में हमें अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि हिंदुस्तान सरकार ने इस सिलसिले में फ़्रांस का समर्थन करके हिंदुस्तान के 20 करोड़ मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। हिंदुस्तान सरकार को समझना चाहिए कि हिंदुस्तान विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का देश रहा है। अगर बेलगाम अभिव्यक्ति की आज़ादी की इस परंपरा को हिंदुस्तान जैसे महान देश में बढ़ावा दिया गया तो इस देश में अमन व शांति का क्या होगा ? सरकार को चाहिए कि इस गंभीर स्थिति को समझे और इस सिलसिले में ऐसा उदारवादी और मज़बूत रूख़ अपनाए जो अमन व शान्ति के लिए मददगार हो।

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