1. FIR दर्ज करने से मना नहीं कर सकती पुलिस पुलिस रेगुलेशन के मुताबिक थाने पर आने वाले प्रत्येक पीड़ित की FIR यानि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करना पुलिस की जिम्मेदारी है और पुलिस इसके लिए आपको मना नहीं कर सकती। दर्ज FIR की एक कॉपी भी आपको निशुल्क दी जाती है।
2. किसी व्यक्ति से मारपीट या अमानवीय व्यवहार नहीं कर सकती पुलिस सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश है कि पुलिस थाने लाए गए किसी भी व्यक्ति से अमानवीय व्यवहार नहीं कर सकती है और पुलिस थाने लाए गए किसी भी व्यक्ति के साथ मारपीट नहीं करेगी।
3. आपको बिना कारण बताए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता CRP दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 150 के मुताबिक पुलिस बिना कारण बताए किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। अगर पुलिस आपको गिरफ्तार करती है तो इसके लिए आप पुलिस से गिरफ्तारी का कारण पूछ सकते हैं और पुलिस को कारण बताना होगा।
4. पुलिस किसी को भी 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रख सकती दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 के मुताबिक पुलिस किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रख सकती है। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर पुलिस को नजदीकी न्यायालय के समक्ष पेश करना जरूरी होता है।
5. थाने में आपको भूखा नहीं रख सकती पुलिस पुलिस रेगुलेशन के मुताबिक अगर पुलिस किसी व्यक्ति को हिरासत में या गिरफ्तार करके थाने लाती है तो उसको समय पर भोजन कराना पुलिस की जिम्मेदारी है और इसके लिए पुलिस को भत्ता भी मिलता है।
6. न्यायालय के आदेश के बगैर आपको हथकड़ी नहीं लगा सकती पुलिस सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक पुलिस हिरासत में लिए गए व्यक्ति और विचाराधीन बंदी को एक कारागार से दूसरे कारागार, थाने से न्यायालय में पेश करते समय या न्यायालय से कारागार ले जाते समय हथकड़ी नहीं लगा सकती इसके लिए पुलिस को न्यायालय से अनुमति लेनी होती है।
7. रिमांड पर लिए व्यक्ति का 48 घंटे में पुलिस को चिकित्सीय परीक्षण कराना होता है अगर पुलिस किसी विचाराधीन बंदी को रिमांड पर लेती है तो 48 घंटे के भीतर पुलिस को रिमांड पर लिए गए व्यक्ति का चिकित्सीय परीक्षण अवश्य कराना होगा। अगर पुलिस ऐसा नहीं करती तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना होगी।
8. परिवार वालों को गिरफ्तारी की सूचना देना पुलिस की जिम्मेदारी अगर आपको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है तो आपको यह अधिकार मिला है कि आप अपने किसी संबंधी को इसकी सूचना दे सकें। इसके लिए पुलिस आपको टेलीफोन मुहैया कराएगी, अगर टेलीफोन की व्यवस्था नहीं है तो पत्राचार से इसकी सूचना भिजवाने की जिम्मेदारी पुलिस की है और यह अधिकार आम नागरिक को सर्वोच्च न्यायालय से मिला है।
9. पुलिस थाने पर भी ले सकती है जमानत दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436 के तहत पुलिस को थाने से ही जमानत देने का अधिकार है। यदि किसी व्यक्ति ने ऐसा अपराध कर दिया है जो जमानतीय है तो ऐसे अपराध की जमानत पुलिस थाने पर ही ले सकती है।
10. रेप पीड़िता से महिला पुलिस की मौजूदगी में ही की जा सकती है पूछताछ सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के मुताबिक थाने में पूछताछ के दौरान आने वाली महिलाओं के साथ पुलिस अभद्र व्यवहार अथवा अश्लील भाषा का प्रयोग नहीं कर सकती। विशेष रूप से सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बलात्कार पीड़िता के साथ पुलिस को उच्च कोटि की संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए। इसका कारण यह है कि वह महिला पहले से ही मानसिक व शारीरिक वेदना झेल चुकी होती है ऐसे में पुलिस को चाहिए कि ऐसी महिला के साथ संवेदनशीलता दिखाए सुप्रीम कोर्ट का यह भी आदेश है कि बलात्कार पीड़िता की रिपोर्ट महिला पुलिसकर्मी ही लिखेगी और पूछताछ भी महिला पुलिसकर्मी ही करेगी। अगर ऐसा संभव ना हो तो पूछताछ के समय कोई महिला पुलिसकर्मी मौजूद रहने जरूरी है और पीड़िता के परिवार की भी कोई महिला साथ रह सकती है।
एसपी सिटी ने की पुष्टि सहारनपुर एसपी सिटी प्रबल प्रताप सिंह ने इन सभी अधिकारों की पुष्टि की है और उन्होंने कहा है कि पुलिस थानों में इन सभी अधिकारों के संरक्षण के आदेश दिए गए हैं यदि फिर भी कहीं मानव अधिकारों का हनन होता है तो इसकी शिकायत अधिकारियों को की जा सकती है उन्होंने यह भी बताया कि न्यायालय के समक्ष पेश करते समय हथकड़ी नहीं लगाते हैं लेकिन अपराधी और आरोपी के भागने की आशंका को देखते हुए बीच रास्ते में हथकड़ी लगानी पड़ती है जिसका तस्करा जीडी में डाला जाता है।
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