समस्तीपुर जिले का उजियारपुर संसदीय क्षेत्र मूलतः कृषि प्रधान इलाका है। मक्का गेहूं और धान के अलावा इस इलाके में बड़े पैमाने पर हरी सब्जियों की खेती होती है। क्षेत्र में कुल 18 उम्मीदवार हैं जिनमें महागठबंधन के रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, भाजपाध्यक्ष नित्यानंद राय और सीपीएम के अजय कुमार प्रमुख हैं। मिर्च की खेती के लिए मशहूर उजियारपुर में अब मसाले की खेती कम होती है और बात बात पर उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए से अलग होने पर कुशवाहा समाज के लोग भड़क उठते हैं। पातेपुर की एक दुकान पर मिले त्रिलोक कुमार सिंह कहते है, हमारे बीच वह आकर पूछे कहां कि हम उधर जा रहे हैं। अब वोट हम उन्हें क्यों दे दें। आलोक कुमार दिल्ली से वोट देने आए हैं। साफ शब्दों में कहा, मोदी जी ने जो काम किया है उसका कोई जवाब किसी के पास है भी क्या? हम लोग वोट नहीं बर्बाद होने देंगे। एक ढाबे में मिले शिवेंद्र राय चुपचाप बातें सुनने के बाद कहते हैं, प्रधानमंत्री तो एक ही आदमी बनेगा। इस तरफ से तो किसी का चेहरा सामने ही नहीं आया। वोट तो प्रधानमंत्री बनाने के लिए ही दिया जा रहा है। हरिद्वार भगत की मानें तो नित्यानंद राय ने काम अच्छे किए हैं। कंडिडेट भी अच्छे हैं। किसी कंडिडेट का और भरोसा कहां है?
यह सिलसिला चलता रहता है। उजियारपुर के मतदाता नित्यानंद राय और उपेंद्र कुशवाहा को आगे रखकर अपना भविष्य तय कर संवारने की सोच के साथ निर्णय कर रहे हैं। सीपीएम के अजय कुमार में भी लोग अच्छाइयां ढूंढ रहे हैं लेकिन जीत सकने की होड़ में आगे नहीं निकल पाने की तस्वीर भांपकर पीछे मूड़ने की सोच लेते हैं। पान दुकान ठाट से चलाते हुए अजय पासवान कहते हैं कि यहां लड़ाई तो दो ही के बीच छिड़ी है। फैसला तो तय है।
उजियारपुर की सीट बरकरार रखने के लिए भाजपा ने पूरी ताक़त झोंक रखी है तो उपेंद्र कुशवाहा और कैडर वोटों के सहारे सीपीएम के अजय कुमार भी पीछे कतई नहीं रहे। क्षेत्र की छः विधानसभा सीटों में से तीन पर जदयू और तीन पर आरजेडी का कब्जा है। 2014के आम चुनावों में नित्यानंद राय ने आरजेडी के आलोक कुमार वर्मा को साठ हजार से भी अधिक वोटों से हराया था। तब जदयू चुनाव में एनडीए से अलग था और उसकी उम्मीदवार अश्वमेध देवी को एक लाख बीस हजार वोट मिले थे। जबकि 2009 में जदयू की अश्वमेध देवी आरजेडी के आलोक वर्मा को 25,312 वोटों के अंतर से पराजित किया था। सीपीएम के रामदेव वर्मा तीसरे नंबर पर रह गये थे। चौथे चरण में 29 तारीख को बढ़ती चुनावी गर्मी और मौसमी तपिश के बीच कुल 15,88,209 वोटर अपने वोटों से नेक प्रतिनिधि का चुनाव करेंगे। पलड़ा भारी उसी का होगा जिसके पक्ष में जात बिरादरी के अलावा अन्य तबके खासकर दलित और वंचित समाज के वोट गिरेंगे।