जांच के लिए भेजा गया शव
संभल स्थित पशु चिकित्सालय के चिकित्साधिकारी डा. एल के गुप्ता ने बताया कि पवांसा में उन्हें बंदरों की मौत होने की जानकारी मिली तो वह अपनी टीम के साथ पवांसा गए थे। वहां ग्रामीणों ने बताया कि सात दिनों से बंदरों की आकस्मिक मौत का सिलसिला जारी है। बंदरों की पहले तबीयत बिगड़ती है और 24 से 48 घंटे में मौत हो जाती है। आकस्मिक मौत का शिकार हुए अधिकतर बंदरों को दफना दिया गया है। जबकि एक बंदर का शव मंगलवार की दोपहर में पशु चिकित्सा विभाग की टीम कब्जे में लिया गया। टीम में शामिल तीनों डाक्टर कोरोना को लेकर सतर्क थे और अपने बचाव के लिए बंदर का शव बरेली स्थित सेंटर फॉर एनिमल डिजीज रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक को भेजा गया है। वहां से बंदर की मौत की वजह स्पष्ट हो सकेगी।
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जांच के बाद वजह होगी साफ
यहां बता दें कि एकाएक इलाके में इस तरह से बंदरों की मौत से ग्रामीणों में दहशत है। इससे पहले पिछले वर्ष अमरोहा में भी बंदरों की मौत हुई थी। तब ज्यादातर बंदरों में सस्पेक्टेड पाइजन की पुष्टि हुई थी। फ़िलहाल अब अधिकारीयों को रिपोर्ट का इन्तजार है, उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।